मूडीज ने घटाई भारत की रेटिंग, कहा- 2022 से पहले नहीं होगी इकनॉमी में रिकवरी


अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसी मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग घटा दी है. मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग ‘Baa2’ से घटा कर ‘Baa3’  कर दी है. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर इसका निगेटिव आउटलुक बरकरार है. हालांकि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है इस वक्त मूडीज ने 35 दूसरे देशों की रेटिंग घटाई है और उन्हें निवेश के लिहाज से डाउनग्रेड कर दिया है. ऐसे में भारत की रेटिंग घटाए जाने को लेकर बहुत अधिक चिंता नहीं जताई जानी चाहिए.


मूडीज ने कहा है कि कोविड-19 से उबरने के लिए अर्थव्यवस्था को जो पैकेज दिया गया है उसमें नकद प्रोत्साहन कोई खास नहीं है इसलिए मांग में बढ़ोतरी नहीं होगी. हालात ऐसे ही रहे तो 2022 से पहले इकनॉमी में कोई रिकवरी की संभावना नहीं है.


मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से आर्थिक और कारोबारी सुधार के उठाए गए कदम के बाद 2017 में भारत की रेटिंग बढ़ा दी थी. इकनॉमी में गिरावट को कोविड-19 के प्रभाव के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन मूडीज ने स्पष्ट किया है भारत की डाउनग्रेडिंग कोविड-19 से भारतीय अर्थव्यवस्था को लगे झटके से नहीं हुई है. कोविड-19 ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ा दी है. लेकिन इसकी दिक्कतें पहले से ही जारी थीं. कोविड-19 के पहले ही इकनॉमी मुसीबत में फंस चुकी थी. यही वजह है रेटिंग एजेंसी ने इसे लेकर निगेटिव आउटलुक बरकरार रखा है. एजेंसी ने पिछले साल ही इसकी रेटिंग निगेटिव कर दी थी.


दरअसल कोविड-19 से अर्थव्यवस्था को लगे झटके से उबरने से सरकार को आने वाली दिक्कतों को देखते हुए मूडीज ने सॉवरेन रेटिंग घटाई है. राजकोषीय घाटा और बढ़ने, फाइनेंशियल सेक्टर की दिक्कतों और मांग में गिरावट जैसी कुछ ऐसी दिक्कतें हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था जूझ रही है. मूडीज ने यह डाउनग्रेडिंग ऐसे वक्त की है, जब मोदी सरकार इकनॉमी के अलग-अलग सेक्टरों को 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देकर इसे दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश में दिख रही है.


क्या है सॉवरेन रेटिंग और क्या होता है डाउनग्रेडिंग का असर


हालांकि भारत अभी भी बाहरी निवेशकों के लिए निवेश करने लायक देश की श्रेणी में है लेकिन इसकी सॉवरेन रेटिंग घटा दी गई है. अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां विभिन्न देशों की सरकारों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर सॉवरेन रेटिंग तय करती हैं. इसके लिए वह मार्केट, अर्थव्यवस्था और राजनीतिक जोखिम को आधार बनाती हैं.  रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका पाएगा या नहीं? हालांकि भारत बाहर से बहुत ज्यादा कर्ज नहीं लेता इसलिए डाउनग्रेडिंग से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. हालांकि इससे निवेश सेंटिमेंट पर असर तो पड़ता ही है.