रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि उभरी अर्थव्यवस्थाओं में से भारत की इकॉनमी 2020 की दूसरी छमाही में जोरदार वापसी कर सकती है. इसके साथ ही यह 2021 के आखिरी महीनों में प्री-कोविड स्तर तक पहुंच सकती है. ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2020 को अपडेट करते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि कोविड-19 के दौरान आर्थिक गतिविधियां बेहद धीमी रहीं. इसके अलावा अगले साल तक वैक्सीन भी आने की उम्मीद नहीं है. एजेंसी ने कहा है कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से भारत, इंडोनेशिया और चीन की अर्थव्यवस्था 2020 की दूसरी छमाही में रिकवरी कर सकती है और 2021 के आखिर तक इसमें प्री-कोविड लेवल की रफ्तार आ सकती है.
मूडीज का 2020-21 के आकलन में कोई बदलाव नहीं
रेटिंग एजेंसी ने भारत के ग्रोथ के लेकर अपने आकलन को नहीं बदला है. एजेंसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में इकॉनमी में 3.1 फीसदी की गिरावट आ सकती है. 2021 में इसमें 6.9 फीसदी की दर की बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है. फिलहाल चीन की इकॉनमी इस समय सबसे तेज बढ़ोतरी 1.2 फीसदी दिख रही है. इससे पहले इसके 1 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था.
विकसित देशों में धीमी रहेगी रिकवरी
आंकड़ों के मुताबिक कई विकसित देशों में सामानों की मांग में तेजी आ सकती और खपत में इजाफा हो सकता है. हालांकि कोविड-19 की आशंका से इकॉनमी मे रिकवरी धीमी रह सकती है. मूडीज ने G-20 की अर्थव्यवस्था में 4.8 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है. जापान, इटली, ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया, मैक्सिको, इंडोनेशिया और अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट का अनुमान है.
मूडीज ने कहा है कि भारत में इन्फस्ट्रक्चर में खर्च बढ़ा कर ग्रोथ हासिल की जा सकती है. हालांकि इसने बैंकों की कमजोरी की ओर ध्यान दिलाया है. मूडीज ने कहा है कि चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर का बुरा असर एशियाई देशों पर पड़ सकता है.
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