इकोनॉमी को पटरी पर लाने की सरकार की कोशिश की वजह से रेटिंग एजेंसियों को भारत में आर्थिक विकास दर बढ़ने की उम्मीद दिखने लगी है. आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी को देखते हुए रेटिंग एजेंसी मूडीज ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 10. 8 फीसदी से बढ़ा कर 13.7 फीसदी कर दिया है. मूडीज का मानना है कि आर्थिक गतिविधियों में रफ्तार और कोविड-19 की वैक्सीन मार्केट में आने से भारत की इकोनॉमी में तेज रिकवरी हो सकती है. इसके साथ ही एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में गिरावट के अनुमान को 10.6 फीसदी से घटा कर 7 फीसदी कर दिया है.

मौजूदा वित्त वर्ष में ग्रोथ में गिरावट का अनुमान घटाया

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के सहायक प्रबंध निदेशक जेने फेंग ने कहा कि मार्च में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में सात फीसदी की गिरावट रह सकती है. इसके बाद स्थिति में सुधार हो सकता है. जीडीपी ग्रोथ में अनुमान से ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसे में भारत की जीडीपी ग्रोथ में भी तेजी आ सकती है. यह तेजी कितनी ज्यादा होगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आर्थिक सुधार प्रक्रिया में सरकार कितनी तेजी लाती है. इस बीच, इक्रा की ओर से कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट 0.3 फीसदी पर यानी पॉजीटिव जोन में जा सकती है.

ग्रोथ को लेकर उम्मीदें बढ़ीं, लेकिन महंगाई चुनौती बन सकती है

फिलहाल भारत में आर्थिक गतिविधियों में रफ्तार दिखने के बाद विश्लेषकों का मानना है कि इससे ग्रोथ में आ रही गिरावट थमेगी. लेकिन इस बीच चुनौतियां भी बढ़ रही है. खास कर पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ गई है. इससे रिकवरी में देरी हो सकती है. महंगाई मैन्यूफैक्चरिंग लागत को भी बढ़ाएगी. आरबीआई के गवर्नर ने भी यह बात मानी है. देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गई हैं. डीजल की कीमत भी 90 रुपये प्रति लीटर को पार कर गई हैं. आरबीआई का लक्ष्य महंगाई को चार से पांच फीसदी में रखने का है. लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं हुई तो खुदरा महंगाई दर बेकाबू हो सकती है.

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