Housing Sector: देश में इस समय लगभग एक करोड़ घर खाली पड़े हुए हैं. एक तरफ महंगे घरों की डिमांड में लगातार इजाफा आता जा रहा है. दूसरी तरफ सस्ते घरों की डिमांड देश के बड़े शहरों में तेजी से नीचे जा रही है. आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच 1.5 करोड़ रुपये से महंगे घरों की मांग में लगभग 1000 फीसदी का इजाफा हुआ है. यह उछाल अमीरों और इंस्टीटूशनल इनवेस्टर्स के रियल एस्टेट सेक्टर में कूदने की वजह से आई है. मगर, सस्ते घरों की देश को जरूरत है और रियल एस्टेट सेक्टर के विकास के लिए इनकी मांग बढ़ाई जानी चाहिए.


10 फीसदी आबादी को ही टार्गेट कर रहे बिल्डर


नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) के प्रेसिडेंट जी हरी बाबू (G Hari Babu) ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा कि हैदराबाद में 2022 में 5300 सस्ते घर बिके थे. साल 2023 में यह आंकड़ा 3800 ही रह गया. चंद लोगों के पास पैसा तेजी से बढ़ रहा है. देश की 10 फीसदी आबादी के पास लगभग 63 फीसदी संपत्ति इकट्ठी हो चुकी है. यह आंकड़ा 14 करोड़ लोगों का है. ज्यादातर बिल्डर इस समय इन्हीं लोगों को टार्गेट कर रहे हैं. यही वजह है कि लगभग 1.14 करोड़ घर खाली पड़े हैं. 


निवेशक घरों को खरीदकर नहीं कर रहे इस्तेमाल


जी हरी बाबू ने कहा कि निवेशक घरों को खरीदकर इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. इन घरों को रेंट पर भी नहीं दिया जा रहा है. एक तरफ लोग घरों की तलाश में भटक रहे हैं और दूसरी तरफ ये घर खाली पड़े हैं. निवेश के लिए खरीदे गए इन घरों का इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा है. यह एक तरह का अपराध है. ऐसे घरों पर प्रॉपर्टी टैक्स दोगुना या तिगुना कर देना चाहिए ताकि इस एसेट का इस्तेमाल किया जा सके. हमारी लगभग 60 फीसदी आबादी घर खरीदने में सक्षम नहीं है. वह पूरी तरह से सरकारी स्कीमों पर निर्भर है. 


जीएसटी, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज पर मिले छूट


उन्होंने कहा कि सरकार को सस्ते घरों को बनाने के लिए बिल्डर्स पर दबाव बनाना चाहिए. साथ ही सस्ते घरों के लिए जीएसटी, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज पर भी छूट दी जानी चाहिए. इन बदलावों से अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर में लगभग 25 फीसदी की उछाल आने की उम्मीद है. सरकार को लोअर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के बारे में सोचना पड़ेगा. हम भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेकर चल रहे हैं. अगर हमारी 40 फीसदी आबादी झुग्गी झोपड़ी में रहेगी तो हम विकसित देश कैसे कहला पाएंगे.


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