Illegal Digital Lending Apps: गैरकानूनी तरीके से देश में चल रहे 600 से ज्यादा डिजिटल लेंडिंग एप, सरकार ने दी संसद को जानकारी
Illegal Digital Lending Apps: देश में ऐसे 600 से ज्यादा एप चल रहे हैं जो गैरकानूनी तरीके से ऊंचे ब्याज दर पर कर्ज देने का काम करते हैं.
Illegal Digital Lending Apps: देश में 600 से ज्यादा गैरकानूनी लेंडिंग एप्स( Illegal Digital Lending Apps ) चल रहे हैं जो कि एप स्टोर्स पर भी मौजूद हैं. सरकार ने संसद को ये जानकारी दी है. सरकार ने बताया कि आरबीआई की जांच में पता लगा है कि देश में ऐसे 600 से ज्यादा एप चल रहे हैं जो गैरकानूनी तरीके से कर्ज देने का काम करते हैं.
27 App को किया गया ब्लॉक
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड के मुताबिक सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने ऐसे 27 गैरकानूनी लेंडिंग एप को ब्लाक किया है. साथ ही आरबीआई ने सचेत नाम से एक पोर्टल लॉन्च किया है जिस पर जनवरी 2020 से लेकर मार्च 2021 के बीच डिजिटल लेंडिंग एप्स के खिलाफ 2562 शिकायतें मिली है.
उन्होंने बताया कि इन एप पर सबसे बड़ा आरोप है कि ये बहुत ज्यादा ब्याज वसूलती है साथ ही भारी भरकम प्रोसेसिंग फीस भी वसूलते हैं. इसके अलावा कर्ज अदायगी को लेकर अपने कस्टमर्स का उत्पीड़न भी करती हैं. ऐसे डिजिटल एप के खिलाफ कंपनी मामलों के मंत्रालल के अधीन रजिस्ट्रा ऑफ कंपनीज और आर्थिक अपराद शाखा को कारवाई के लिये शिकायतें भेजी जाती है क्योंकि इन्हें आरबीआई रेग्युलेट नहीं करती. आरबीआई ने 23 दिसंबर 2020 को ग्राहकों को ऐसे गैरकानूनी एप्स के खिलाफ आगाह भी किया था.
आरबीआई की वर्किंग ग्रुप ने सौंपी रिपोर्ट
ऐसी फिनटेक ( Fintech) कंपनियां जो गैरकानूनी तरीके से Digital Lending Apps चला रही है जिसके जरिये लोगों को कर्ज दे रही हैं उनपर शिंकजा कसने की कारवाई की जाएगी. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप के जरिये डिजिटल लेडिंग पर गठित आरबीआई ( Reserve Bank of India) के वर्किंग ग्रुप ( Working Group) में अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
वर्किंग ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा है देश में आधे से ज्यादा Digital Lending Apps गैरकानूनी ( Illegal) तौर पर चल रहे हैं. आरबीआई के वर्किंग ग्रुप ने ये रिपोर्ट ग्राहकों के हितों की रक्षा ( Consumer Protection) करने और डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित ( Safe Digital Ecosystem) बनाने के मकसद से तैयार किया है. वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम के भागीदारों द्वारा Self-Regulatory Organisation (SRO) बनाने का भी सुझाव दिया है.