नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर 2018 तक देश में बैंकों के 2043 कर्जदार ऐसे थे जिन पर सरकारी क्षेत्र के बैंकों की 25 करोड़ रुपये से ज्यादा के नॉन परफर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बकाया थे. इन कर्जदारों पर बकाया राशि की कुल मात्रा 6,84,824 करोड़ रुपये है.
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी देते हुये बताया. उन्होंने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी क्षेत्र के बैंकों की दबावग्रस्त संपत्तियों में अचानक हुई बढ़त के कारणों में अन्य बातों के अलावा आक्रामक उधार पद्धति, इरादतन चूक या लोन धोखाधड़ी और कुछ मामलों में भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी है.
गोयल ने बताया कि संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा-एसेट क्वालिटी रिव्यू (एक्यूआर) से एनपीए में बढ़ोतरी का पता चलने के बाद बैंकों द्वारा पारदर्शी पहचान के परिणामस्वरूप दबावग्रस्त खातों को एनपीए के रूप में दोबारा क्लासीफाई किया गया.
इसके अलावा दबावग्रस्त लोन से हुई अनुमानित हानि के आंकलन के प्रावधान करते हुये वित्तीय वर्ष 2017-18 में दबावग्रस्त लोन की रीस्ट्रक्चरिंग संबंधी सभी योजनाओं को वापस भी ले लिया गया. उन्होंने आरबीआई के आंकड़ों के हवाले से बताया कि सरकारी बैंकों का 31 मार्च 2015 तक एनपीए 2,79,016 करोड़ रुपये था जो पिछले साल 31 मार्च को बढ़कर 8,95,601 करोड़ रुपये हो गया. एनपीए की वसूली और भुगतान के लिये शुरु की गयी समाधान योजना के परिणामस्वरूप यह घटकर 8,64,433 करोड़ रुपये रह गया.
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