Indian Economy: कच्चे तेल ( Crude Oil) की बढ़ती कीमतों और घरेलू मांग में कमी ( Weak Domestic Demand) के चलते देश के आर्थिक विकास ( Economic Growth) की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. विदेशी ब्रोकरेज हाउस Morgan Stanley ने ये भविष्यवाणी की है. ब्रोकरेज हाउस ने अपनी रिपोर्ट में अभारत के इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को 0.40 फीसदी घटा दिया है. मार्गन स्टैनले के मुताबिक 2022-23 वित्त वर्ष में  भारत का जीडीपी 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है तो 2023-24 के लिए भी जीडीपी (GDP) के अनुमान को 0.30 फीसदी घटाकर  6.7 फीसदी से 6.4 फीसदी कर दिया है. 



बढ़ती महंगाई से आर्थिक विकास पर असर 
मार्गन स्टैनले ( Morgan Stanley) ने एक नोट में कहा है कि, ग्लोबल ग्रोथ रेट में सुस्ती, सप्लाई दिक्कतों के चलके कमोडिटी के दामों में बढ़ोतरी और वित्तीय मोर्चे पर सख्ती की वजह से भारत के आर्थिक विकास दर पूर्व अनुमान से कम रहेगी. नोट में कहा गया है कि दिसंबर, 2022 को समाप्त तिमाही में ग्लोबल ग्रोथ रेट घटकर 1.5 फीसदी रहेगी. जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 4.7 फीसदी थी. मार्गन स्टैनले के मुताबिक इसका भारत की निर्यात के ग्रोथ पर असर पड़ेगा. मॉर्गन स्टेनली ने 2022-23 के लिए अपने महंगाई दर के लक्ष्य को 7 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है. मार्गन स्टैनले के मुताबिक रेपो रेट 4.9 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी हो जाएगी.  यानि रिपोर्ट की माने तो कर्ज महंगाई हो सकता है और लोगों की ईएमआई महंगी हो सकती है. 


रूस - यूक्रेन युद्ध से बढ़ी मुश्किलें 
दरअसल कई रेटिंग एजेसियां अगले दो वर्षों तक के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान को है जो इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल समेत, कमोडिटी और खाने के तेल के दामों में उछाल का किस हद तक भारत पर दुष्प्रभाव पड़ा है. जून महीने में खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी के ऊपर बना हुआ है. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है तो सरकार ने भी कई फैसले लिए हैं. जिससे माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में महंगाई से आम लोगों को कुछ राहत मिल सकती है. 


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