Indian Economy: कच्चे तेल ( Crude Oil) की बढ़ती कीमतों और घरेलू मांग में कमी ( Weak Domestic Demand) के चलते देश के आर्थिक विकास ( Economic Growth) की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. विदेशी ब्रोकरेज हाउस Morgan Stanley ने ये भविष्यवाणी की है. ब्रोकरेज हाउस ने अपनी रिपोर्ट में अगले दो वित्त वर्ष के लिए भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है. मार्गन स्टैनले के मुताबिक 2022-23 वित्त वर्ष में  भारत का जीडीपी 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है तो 2023-24 में जीडीपी (GDP) उससे भी कम 6.7 फीसदी रह सकता है. 



बढ़ती महंगाई से आर्थिक विकास पर असर 
मार्गन स्टैनले ( Morgan Stanley) की भारत के लिए मुख्य अर्थशास्त्री उपासना चाचरा ( Upasana Chachra) ने कहा है कि बढ़ती महंगाई ( Inflation), उपभोक्ता की तरफ से कमजोर मांग ( Weak Consumer Demand), कड़े वित्तीय हालात ( Tight Financial Conditition)  के चलते  बिजनेस सेंटीमेंट ( Business Sentiment)पर बुरा असर पड़ेगा साथ कैपिटल एक्सपेंडिंचर ( Capex) के रिकवरी में भी देरी होगी. कीमतों में उछाल और कमोडिटी ( Commodity) के बढ़ते दामों के चलते महंगाई बढ़ेगी ही साथ ही चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) भी बढ़कर 10 साल के उच्ताचतम स्तर 3.3 फीसदी तक जा सकता है. 


रूस - यूक्रेन युद्ध से बढ़ी मुश्किलें 
Morgan Stanley द्वारा अगले दो वर्षों तक के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल समेत, कमोडिटी और खाने के तेल के दामों में उछाल का किस हद तक भारत पर दुष्प्रभाव पड़ा है. मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी पर जा पहुंचा है जो 17 महीने का उच्चतम स्तर है. अप्रैल में 7.50 फीसदी खुदरा महंगाई दर रहने का अनुमान है. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है. लेकिन महंगाई बढ़ेगी को कर्ज और महंगा हो सकता है जिसका असर देश में डिमांड पर पड़ेगा.   


 


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