Jobs in India: नौकरियों में संघर्ष कर रहे 86 फीसदी कर्मचारी, नाखुश हैं फिर भी काम में जुटे
Global Workplace Report: गैलप की ग्लोबल वर्कप्लेस रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कर्मचारी नाखुश होने के बाद भी जिम्मेदारी से अपने काम में जुटे हुए हैं. उन्होंने ग्लोबल एवरेज को भी पीछे छोड़ दिया.
Global Workplace Report: देश के कर्मचारी इस समय भारी दबाव का सामना कर रहे हैं. एक सर्वे के अनुसार, देश के 86 फीसदी कर्मचारी खुद को पीड़ित और संघर्षरत मानते हैं. सिर्फ 14 फीसदी कर्मचारी संतुष्ट और संपन्न हैं. यह आंकड़ा वैश्विक औसत 34 फीसदी से काफी कम है.
ग्लोबल वर्कप्लेस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कर्मचारी दुखी
अमेरिकी एनालिटिक्स कंपनी गैलप (Gallup) की ग्लोबल वर्कप्लेस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कर्मचारी प्रसन्न नहीं हैं. गैलप दुनियाभर में कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई पर रिपोर्ट बनाती है. इसने सर्वे में शामिल लोगों को तीन कैटेगरी में बांटा है. इसमें संपन्न, संघर्षरत और पीड़ित शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ 14 फीसदी भारतीय कर्मचारी खुद को संपन्न मानते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, 86 फीसदी कर्मचारी खुद को परेशान मानते हैं. इन्होंने खुद को संघर्षरत और पीड़ित कैटेगरी में रखा.
खाने-पीने की चीजों, घर और बीमारी से जूझ रहे
इस रिपोर्ट में जिन लोगों ने अपनी स्थिति को 7 या अधिक अंक की रेटिंग दी, उन्हें संपन्न कैटेगरी में रखा गया है. इन सभी को अगले 5 साल में अपने जीवन में पॉजिटिव सुधार होते दिखाई दे रहे हैं. साथ ही 4 से 7 के बीच रेटिंग देने वालों को संघर्षरत कैटेगरी में डाला गया है. यह लोग अपनी जिंदगी के बारे में अनिश्चित और नेगेटिव विचार रखते हैं. ये सभी फाइनेंशियल संकटों का सामना भी कर रहे हैं. इसके अलावा 4 और उससे नीचे रेटिंग देने वालों को पीड़ित वर्ग में डाला गया है. इन्हें अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा है.
भारत से ज्यादा खुश हैं नेपाल के कर्मचारी
गैलप के अनुसार, ज्यादातर कर्मचारी खाने-पीने की चीजों, घर, बीमारी और हेल्थ इंश्योरेंस जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं. दक्षिण एशिया में संपन्न कर्मचारी सबसे कम हैं. भारत से ज्यादा खुश नेपाल के कर्मचारी हैं. यहां 22 फीसदी कर्मचारियों ने खुद को टॉप कैटेगरी में रखा.
जिम्मेदारी से काम कर रहे लोगों का औसत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा
भारत के लगभग 35 फीसदी कर्मचारी रोजाना गुस्सा होते हैं. श्रीलंका में यह आंकड़ा 62 फीसदी और अफगानिस्तान में 58 फीसदी है. इसके बावजूद भारतीय कर्मचारी अपने काम में जुटे रहते हैं. इस मामले में उनका औसत 32 फीसदी है. यह ग्लोबल एवरेज 23 फीसदी से ज्यादा है. रिपोर्ट में पता चला है कि भारतीय कर्मचारी संघर्ष करने के बावजूद काम में जुटे हुए हैं.
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