MRF Share Price: 11 रुपये से 1 लाख का सफर, ये है भारत का सबसे महंगा शेयर... सचिन और कोहली से भी सीधा कनेक्शन!
Costliest Stock: आपने मल्टीबैगर रिटर्न देने वाले शेयरों की कहानी पढ़ी होगी. आपने शेयर बाजार से करोड़पति बनते लोगों के बारे में सुना होगा. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कहानी भारत के सबसे महंगे शेयर की..
Most Costly Stock In India: शेयर बाजार का नाम तो आपने जरूर सुना होगा. इस बात के भी खूब चांसेज हैं कि आप न सिर्फ बीएसई और एनएसई जैसे शेयर बाजारों के नाम जानते हों, बल्कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग भी करते हों. आपने ऐसी खबरें भी खूब पढ़ी होंगी कि कैसे किसी मल्टीबैगर शेयर ने चंद दिनों में अपने इन्वेस्टर्स के पैसे को डबल या ट्रिपल बना दिया. आज हम आपको शेयर बाजार का इतिहास या किसी मल्टीबैगर शेयर की कहानी तो नहीं बताने जा रहे हैं, लेकिन एक ऐसे शेयर की कहानी जरूर बताने वाले हैं, जिसकी यात्रा बड़ी मजेदार है. हम जिस शेयर के बारे में आज आपको बताने वाले हैं, उसने अपनी यह यात्रा चंद रुपये के भाव से शुरू की थी और आज उसका भाव लाख रुपये जा पहुंचा है.
आजाद भारत से पुरानी है कंपनी
यह कहानी है भारत के सबसे महंगे शेयर की. कहानी उस कंपनी की, जो आजाद भारत के लगभग बराबर उम्र की है. एक ऐसी कहानी, जिसकी शुरुआत गुब्बारे बनाने से हुई, और आज उस गुब्बारे में इतना हवा भर चुका है कि न सिर्फ दलाल स्ट्रीट बल्कि देश-विदेश की तमाम सड़कें उससे गुलजार हैं. एक छोटे प्लांट से शुरू हुआ सफर कई बड़ी फैक्ट्रियों तक जा पहुंचा है. गुलाम भारत में शुरू हुई कंपनी देश की सीमा से बाहर कई देशों में पैर पसार चुकी है.
गुब्बारे बनाने से शुरू हुआ सफर...
यह कहानी है एमआरएफ की. क्रिकेट को ऑक्सीजन की तरह सांसों में घुलाने वाला देश इस नाम को तो खूब जानता है. कहानी उसी एमआरएफ की, जिसका नाम पहले सचिन तेंदुलकर के बल्ले पर दिखता था और अभी विराट कोहली के बल्ले पर चमका करता है. कंपनी की कहानी शुरू हुई साल 1946 में, जब केएमएम मप्पिलई ने मद्रास रबर फैक्ट्री नाम से एक छोटा प्लांट लगाया. उस समय यह कंपनी बच्चों के खेलने वाले गुब्बारे बनाया करती थी.
सचिन और कोहली से ऐसे बना कनेक्शन
धीरे-धीरे कंपनी का काम बढ़ा. आज एमआरएफ की पहचान सचिन और कोहली के बल्लों के अलावा टायरों से होती है. कंपनी ने टायर बनाने के बिजनेस में नवंबर 1960 में कदम रखा. अभी यह कंपनी टायर के अलावा खिलौने, पेंट, कॉन्वेयर बेल्टिंग समेत रबर के कई उत्पाद बनाती है. एमआरएफ आज के समय में भारत की नंबर-वन टायर कंपनी है. कंपनी मजबूत टायर बनाने के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. एमआरएफ कंपनी में अभी 18 हजार से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं और इस कंपनी का सालाना राजस्व पिछले साल करीब 20 हजार करोड़ रुपये रहा था.
अभी इतना है एमआरएफ के एक शेयर का भाव
अब बात करते हैं शेयर बाजार की. शेयर बाजार में एमआरएफ की शुरुआत बेहद आम थी. साल 1993 की शुरुआत में एमआरएफ के एक शेयर का भाव महज 11 रुपये था. मंगलवार को दोपहर में यह स्टॉक 98 हजार रुपये के आस-पास ट्रेड कर रहा था. इससे पहले सोमवार के कारोबार के दौरान एक समय एमआरएफ का शेयर 99,933.50 रुपये तक जा पहुंचा था. वहीं वायदा कारोबार में एमआरएफ का शेयर 1 लाख रुपये के स्तर के पार निकल चुका है.
9000 फीसदी से भी ज्यादा दिया रिटर्न
कंपनी के शेयरों के भाव जिस हिसाब से बढ़े हैं, उसके हिसाब से देखें तो इसने हर उस इन्वेस्टर्स को मालामाल किया है, जिसने धैर्य और भरोसा दिखाया होगा. 30 साल पहले अगर किसी ने महज 1 शेयर खरीदे होते तो आज वह लखपति हो जाता. वहीं उस समय एमआरएफ के शेयर में महज 1,100 रुपये लगाने वाले इन्वेस्टर्स आज करोड़पति हो जाते. यह पिछले 30 साल में 9,089 फीसदी का ऐसा रिटर्न बैठता है, जो सोचने में भी नामुमकिन जैसा लगता है.
आखिर क्यों सबसे महंगा है एमआरएफ का शेयर?
अब जब आपने इतनी कहानी जान ली है तो स्वभाविक है आपके मन में यह सवाल उठना कि आखिर एमआरएफ के शेयर में ऐसी खास बात क्या है? बाजार पूंजीकरण के आधार पर एमआरएफ टॉप-10 में भी नहीं है, मतलब यह भारत की 10 सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों की सूची का हिस्सा नहीं है... न ही यह कंपनी कमाई करने में ही नंबर-1 है, फिर क्या वजह है जो इसके शेयरों के भाव सबसे महंगे हैं? जवाब है- शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं करना.
आम तौर पर कंपनियां शेयरों का भाव चढ़ जाने के बाद उसे स्प्लिट कर देती हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टर उसके शेयरों को खरीद सकें. इससे शेयरों का भाव समय-समय पर कम होते जाता है. एमआरएफ ने अभी तक कभी भी अपने शेयरों को स्प्लिट नहीं किया है.
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