साल 2023 का पांचवां महीना समाप्त होने की कगार पर है, लेकिन अडानी समूह (Adani Group) के लिए बुरे दिन समाप्त होने का नाम नहीं ले रहे हैं. साल की शुरुआत में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Adani Hindenburg Report) से लगे झटके के बाद समूह को संभलने का मौका नहीं मिल पा रहा है. पिछले सप्ताह भी अडानी समूह के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई, जिसके चलते अडानी की कंपनियों को मार्केट कैप (Adani MCap) के मामले में बड़ा नुकसान उठाना पड़ गया.


3 महीने का सबसे बुरा सप्ताह


19 मई को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान अडानी समूह की कंपनियों को एमकैप में 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ गया. हालांकि इसके बाद भी अडानी समूह के लिए मुश्किलें समाप्त नहीं हुई हैं. फरवरी 2023 के बाद के सबसे बुरे सप्ताह के बाद अब अडानी समूह के सामने और नुकसान का खतरा है. इस कारण आने वाले दिनों में इन्हें और बिकवाली से जूझना पड़ सकता है.


अब इतना कम हुआ एमकैप


ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह के शेयरों से इन्वेस्टर कई मिलियन डॉलर की निकासी कर सकते हैं. दरअसल अडानी समूह के दो शेयरों अडानी टोटल गैस (Adani Total Gas) और अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) को मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनेशनल यानी एमएससीआई इंडेक्स (MSCI Index) से इस महीने बाहर कर दिया गया है. यही कारण है कि पिछले सप्ताह के दौरान अडानी समूह का एमकैप करीब 10.1 बिलियन डॉलर कम होकर 107 बिलियन डॉलर पर आ गया.


हो सकती है इतनी बिकवाली


इक्विटी एनालिस्ट ब्रायन फ्रीटास का कहना है कि अडानी समूह को अभी और बिकवाली का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह की कंपनियों की वैल्यू काफी कम हुई है. कुछ शेयरों ने रिकवरी दिखाई है, लेकिन अभी भी वे बड़े नुकसान में हैं. अब जब दो शेयरों को एमएससीआई इंडेक्स से बाहर किया जा चुका है, तो ग्लोबल पैसिव फंड्स अडानी के शेयरों में करीब 390 मिलियन डॉलर की बिकवाली कर सकते हैं.


हिंडनबर्ग ने किया था इतना नुकसान


हिंडनबर्ग की रिपोर्ट 24 जनवरी को सामने आई थी. उसके बाद करीब एक महीने के दौरान अडानी समूह की कंपनियों की वैल्यू में 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा की भारी-भरकम गिरावट आई थी. बाद के दो महीनों के दौरान कुछ रिकवरी देखी गई थी, जब जीक्यूजी पार्टनर्स (GQG Partners) ने अडानी के शेयरों में बड़ा निवेश किया था, लेकिन यह रिकवरी नाकाफी साबित हुई है. समूह के शेयर पूरी तरह से रिकवर हो पाते, उसके पहले ही बिकवाली का नया दौर शुरू हो गया है.


अभी सामने हैं कई कानूनी अड़चन


अडानी समूह को घरेलू मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बाजार नियामक सेबी (SEBI Adani Probe) अडानी समूह के ऊपर हिंडनबर्ग रिसर्च के द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा है, जिसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक पैनल कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने के लिए कहा है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल अडानी समूह की कथित गड़बड़ियों की जेपीसी जांच कराने की मांग कर रहे हैं.


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