नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुए सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की परिभाषा में बदलाव कर उन्हें बड़ी राहत दी. परिभाषा में जहां एक तरफ इनमें स्थायी पूंजी निवेश की सीमा बढ़ायी गयी है वहीं सालाना कारोबार का नया मानदंड भी पेश किया गया है.
एमएसएमई लंबे समय से परिभाषा में बदलाव की मांग कर रहा था. परिभाषा में निवेश की न्यूनतम सीमा से लघु उद्योगों में यह आशंका थी कि उन्हें जो फायदे मिल रहे हैं, वो धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे.
नई परिभाषा के तहत अब एक करोड़ रुपये तक के निवेश वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाई, 10 करोड़ रुपये तक के निवेश वाली लघु और 20 करोड़ रुपये तक के निवेश वाली मझोले उद्यम कहलाएंगे. अब तक विनिर्माण से जुड़े एमएसएमई उद्यमों की परिभाषा में पूंजी की सीमा क्रमश: 25 लाख रुपये, 5 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये थी.
साथ ही एमएसएमई की परिभाषा के लिये सालाना कारोबार आधारित नया मानदंड बनाया गया है. इसके तहत 5 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार वाली इकाइयां सूक्ष्म इकाइयां, 50 करोड़ रुपये के कारोबार वाली लघु और 100 करोड़ रुपये के कारोबार वाली मझोली इकाइयां कहलाएंगी.
इस मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब विनिर्माण और सेवा क्षेत्रा में अंतर को समाप्त किया जाएगा. साथ ही बदलाव को अमल में लाने के लिये कानून में जरूरी संशोधन किये जाएंगे.
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