देश में कोरोना वायरस संक्रमण की सबसे अधिक मार एमएसएमई के कारोबार पर पड़ी है. सरकार ने इस सेक्टर को तीन लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया है लेकिन इसके बावजूद इसके हालात संभलते नहीं दिख रहे. ऑल इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग ऑर्गेनाइजेशन (AIMO) के एक ताजा सर्वे में कहा गया है एमएसएमई के पास काम नहीं है और बिजनेस को चलाए रखने के लिए इनमें से 72 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करेंगे. सिर्फ 14 फीसदी इकाइयों में छंटनी नहीं होगी.


40 फीसदी कॉर्पोरेट्स भी कर रहे हैं छंटनी पर विचार


40 फीसदी कॉर्पोरेट कंपनियां भी छंटनी पर विचार कर रही हैं. कॉर्पोरेट कंपनियों में सिर्फ 18 फीसदी ऐसी हैं, जो मौजूदा कर्मचारियों को बनाए रखना चाह रही हैं. ऑल इंडिया मैन्यूफैक्चरर्स ऑर्गेनाइजेशन को अपने सर्वे के दौरान 46,525 जवाब मिले. ये जवाब बड़ी कंपनियों के सीईओ, एमएसएमई, स्वरोजगार करने वाले लोगों और कर्मचारियों के थे. यह सर्वे नौ संगठनों के साथ मिलकर किया गया था.


सर्वे में कहा गया है कि एमएसएमई के पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं. पुराना कलेक्शन भी नहीं आ रहा है. नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं और कर्ज का ईएमआई भी निकालना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में कर्मचारियों को अपने साथ बनाए रखना कठिन है.


एमएसएमई के लिए 32 फीसदी एमएसएमई सैलरी पेमेंट को लेकर चिंतित हैं. 20 फीसदी को लग रहा है कि कर्मचारियों को बनाया रखना मुश्किल होगा. 15-15 फीसदी एमएसएमई नए ऑर्डर और कच्चा माल की सप्लाई को लेकर मुश्किलों का सामना कर रही हैं.


बेरोजगारी में और इजाफे की आशंका


अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के एक सर्वे में कहा गया है कि दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और पुणे में लॉकडाउन के दौरान रोजगार में 70 फीसदी की गिरावट आई है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी यानी CMIE के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई में बेरोजगारी दर 23.48 फीसदी पर पहुंच गई थी. अप्रैल में बेरोजगारी की दर 23.52 फीसदी थी. एमएसएमई की परेशानियों को देखते हुए आने वाले दिनों में बेरोजगारी और बढ़ सकती है.