भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज तेजी से नए-नए क्षेत्रों में कारोबार का विस्तार कर रहे हैं. अब इस कड़ी में ऑटो सेक्टर नया एडिशन हो सकता है. इसके साथ ही मुकेश अंबानी का नाम टाटा समूह के साथ भी जुड़ जाएगा, क्योंकि उनकी कंपनी इस बार 100 साल से ज्यादा पुराने एक ब्रिटिश ब्रांड को खरीदने की तैयारी कर रही है.?
ये कंपनियां भी हैं दावेदार
दरअसल ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि एमजी मोटर अपनी भारतीय यूनिट कह बहुलांश हिस्सेदारी बेचना चाह रही है. इसे खरीदने में कई बड़े नाम दिलचस्पी दिखा रहे हैं. मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज भी यह डील करने में दिलचस्पी ले रही है. इसके अलावा घरेलू दोपहिया कंपनी हीरो, प्रेमजी इन्वेस्ट और जेएसडब्ल्यू ग्रुप भी एमजी मोटर की हिस्सेदारी खरीदने के प्रयास में है.
अभी इसके पास मालिकाना हक
एमजी मोटर यानी मॉरिस गैराज एक आइकॉनिक ब्रिटिश ब्रांड है. इसकी स्थापना 1920 में हुई थी. दशकों तक एमजी मोटर की पहचान ब्रिटेन ककी कार के रूप में होती आई है. यह उसी तरह का आइकॉनिक ब्रिटिश ब्रांड है, जैसा जगुआर लैंड रोवर है. हालांकि कई अन्य सदियों पुराने ब्रिटिश ब्रांड की तरह अब यह भी अन्य देशों के कॉरपोरेट के हाथों में जा चुका है. अभी इसका मालिकाना हक चीन की कंपनी एसएआईसी मोटर्स के पास है. वहीं जगुआर लैंड रोवर को कई साल पहले टाटा समूह ने खरीद लिया था.
चल रही है डील पर बातचीत
खबरों में बताया जा रहा है कि एमजी मोटर इंडिया की टीम बहुलांश हिस्सेदारी यानी 50 फीसदी से ज्यादा शेयर बेचने के लिए विभिन्न भारतीय कॉरपोरेट घरानों व फैमिली ऑफिस से बातचीत कर रही है. एमजी मोटर इंडिया की योजना है कि इस साल के अंत तक इस डील को पूरा कर लिया जाए. इससे जो फंड मिलेगा, कंपनी उनका इस्तेमाल विस्तार की अन्य योजनाओं में करेगी.
भारत में मिला अच्छा रिस्पॉन्स
आपको बता दें कि भारत में एमजी मोटर ने बहुत कम समय में ठीक-ठाक बाजार बनाने में कामयाबी हासिल की है. कंपनी के कई मॉडल भारत में खूब पसंद किए जा रहे हैं. यही कारण है कि एमजी मोटर भारत में नया प्लांट बनाने की तैयारी में भी है, जिससे कंपनी की मैन्यूफैक्चरिंग कैपिसिटी लगभग दो गुणा हो जाएगी.
डील के पीछे ये भी एक कारण
एमजी मोटर इंडिया की 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी बेचने की योजना को हालिया भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. भारत और चीन के बीच संबंध अभी मधुर नहीं हैं. पिछले 2-3 साल के दौरान सैन्य तनाव की कई घटनाओं ने संबंधों को खराब किया है. इन सबके कारण भारत में आम लोगों के बीच चीन और चीन की कंपनियों के प्रति धारणा पर असर हुआ है.
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