मुकेश अंबानी ने बयां की रिलायंस की कहानी, बोले- पिता की प्रेरणा से खड़ा किया 'Jio' आज बना देश का सबसे बड़ा नेटवर्क
मुकेश अंबानी ने फॉर्मर ब्यूरोक्रेट और बीजेपी नेता एन. के .सिह की पुस्तक ' पोर्ट्रेट ऑफ पावर: हाफ अ सेंचुरी ऑफ बीइंग ऐट रिंगसाइड' के विमोचन समारोह के दौरान रिलायंस की सफलता की कहानी बयां की. उन्होने बताया कि जियों ने किस तरह शुरुआत की और सफलता की सीढी दर सीढ़ी चढ़ते हुए आज भारत का सबसे बड़ा नेटवर्क बना.
फॉर्मर ब्यूरोक्रेट और बीजेपी नेता एन. के .सिह की पुस्तक ' पोर्ट्रेट ऑफ पावर: हाफ अ सेंचुरी ऑफ बीइंग ऐट रिंगसाइड' का विमोचन रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयमैन मुकेश अंबानी द्वारा किया गया. इस मौके पर अपने संबोधन के दौरान मुकेश अंबानी ने रिलायंस की सफलता की कहानी बयां की. उन्होने बताया कि जियो ने किस तरह शुरुआत की और सफलता की सीढी दर सीढ़ी चढ़ते हुए आज भारत का सबसे बड़ा नेटवर्क बन चुका है. वे कहते हैं कि उनके पिता धीरूभाई अंबानी एक स्कूल के टीचर के बेटे थे. वह सिर्फ एक हजार रुपए लेकर आंखों में कुछ बड़ा करने सपने लिए हुए देश की आर्थिक नगरी मुंबई पहुंचे थे. किस्मत धीरूभाई के साथ थी उन्होने मेहनत की और देखते ही देखते बिजनेस का बड़ा एंपायर खड़ा कर दिया. धीरूभाई का मानना था कि जो लोग भविष्य के कारोबार और सही टैलेंट पर भरोसा कर निवेश करते हैं, वे अपने सपने को साकार कर पाते हैं.
पिता की यात्रा को कई सालों तक आगे बढ़ाते रहे
मुकेश अंबानी ने कहा कि शुरू के कुछ सालों तक वे अपने पिता की यात्रा को आगे बढ़ाते रहे फिर एक दिन उन्होने एक किताब में पढ़ा कि रिलायंस को सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उस पर जुर्माना लग सकता है. यह जुर्माना लाइसेंस की क्षमता से ज्यादा उत्पादन करने पर लगा था और तब के आर्थिक सुधार से लेकर अब तक हम प्रोडेक्शन को केवल इंसेटिवाइज ही करते आ रहे हैं. उन्होने कहा कि आज वह जो कुछ भी कर रहे हैं सब कुछ प्रोडक्शन से ही जुडा है. इसलिए इस पर विचार करना बेहद जरूरी है कि आप अपना माइंडसेट कितना बदल पाते हैं.
केवल एक टेक्सटाइल्स कंपनी बन कर नहीं रह सकते हैं
वे कहते हैं कि हमारे दृष्टिकोण से हमने भविष्य की एक टेक्नोलॉजी को तैयार कर लिया है. यह हमारे पिता का ही नजरिया भी था. दरअसल वे हमेशा कहा करते थे कि, हम केवल एक टेक्सटाइल्स कंपनी बन कर नहीं रह सकते हैं, अगर टेक्सटाइल्स से आगे बढ़ना है तो भविष्य के बिजनेस को अपना लक्ष्य बनाना होगा और इस उद्देश्य की पूर्ती के लिए आने वाली जनरेशन के टैलेंट पर भरोसा कर इंवेस्टमेंट करना होगा. यही हमने किया भी.
मैन्यूफैक्चरिंग के बारे में दोबारा एक नए सिरे से सोचना होगा
मुकेश अंबानी ने यह भी कहा कि भारत के विकास के लिए मैन्यूफैक्चरिंग के बारे में दोबारा एक नए सिरे से सोचना होगा. मुकेश अंबानी कहते है कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को नए तरीके से अब परिभाषित भी करना होगा. उन्होने आगे कहा कि हमे अपने छोटे और मीडियम स्तर यानी एमएसएमई सेक्टर को अब मजबूत करने का समय आ गया है. इसके साथ ही ब्रिक्स पर भी गौर करना चाहिए जितना कि क्लिक्स पर है. गौरतलब है कि मुकेश अंबानी ने ये बयान उस समय दिया है जब देश कोरोना संकट के कारण उपजे आर्थिक संकट का भी सामना कर रहा है.
मामूली बदलाव के साथ तीन प्रमुख लक्ष्यों पर काम करना जरूरी
मुकेश अंबानी आगे कहते है कि देश की तरक्की के लिए मामूली बदलाव के साथ तीन प्रमुख लक्ष्यों पर काम करना जरूरी है. इन लक्ष्यों के बारे में वे कहते हैं कि भारत को बदलने के लिए वह इन तीन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए काम कर रहे हैं.पहला लक्ष्य है भारत को डिजिटल सोसाइटी में बदलना. दूसरा लक्ष्य है भारत के शिक्षा स्तर में बदलाव लाना. वे कहते है कि हमारे देश के एजुकेशन सिस्टम में करीब 20 करोड़ बच्चे रहते हैं. भारत के स्किल आधार को पूरी तरह से बदलने में 8 से 10 सालों का समय लग सकता है. वहीं वे तीसरे लक्ष्य एनर्जी सेक्टर को बताते हैं. इस क्षेत्र के बारे में वे कहते है कि फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता को कम करने के लिए एनर्जी सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करना चाहते हैं.
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