Home Affordability Index: मुंबई के होमबायर्स (Mumbai Homebuyers) को अपने इनकम का 51 फीसदी रकम होमलोन की ईएमआई (Home Loan EMI) के भुगतान पर खर्च करना पड़ता है. जिसके चलते मुंबई का हाउसिंग मार्केट देश के टॉप 8 रियल एस्टेट मार्केट में सबसे अनअफोर्डेबल मार्केट्स में से एक है. नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India ) की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई देश का इकलौता शहर है जो अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स (Affordability Index) में तय लिमिट के ऊपर है. जबकि टॉप 8 शहरों में अहमदाबाद (Ahmedabad) का हाउसिंग मार्केट सबसे अफोर्डेबल मार्केट है.
अहमदाबाद है सबसे अफोर्डेबल
नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स के मुताबिक 2023 के आखिर से ब्याज दरों के स्टेबल रहने के चलते 2024 की पहली छमाही जनवरी से जून के दौरान घर खरीदने की क्षमता में स्टैबिलिटी देखने को मिला है. इंडेक्स के मुताबिक टॉप 8 शहरों में 21 फीसदी के रेश्यो के साथ अहमदाबाद का हाउसिंग मार्केट सबसे अफोर्डेबल मार्केट है. इसका मतलब ये हुआ कि अहमदाबाद के लोगों को अपना इनकम का केवल 21 फीसदी रकम होमलोन की ईएमआई के भुगतान पर खर्च पड़ता है. अफोर्डेबिलिटी के मामले में कोलकाता दूसरे स्थान पर है और कोलकाता के लोग इनकम का 24 फीसदी रकम ईएमआई के भुगतान पर खर्च कर रहे हैं. पुणे के लोगों को 24 फीसदी और चेन्नई के लोगों को अपने इनकम का 25 फीसदी रकम ईएमआई पर खर्च करना पड़ता है.
Delhi NCR में 28% EMI भुगतान पर खर्च
अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स में बेंगलुरु पांचवें पायदान पर है और इस शहर के होमबायर्स को इनकम का 26 फीसदी रकम ईएमआई देने पर खर्च करना पड़ता है. दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) छठे पायदान पर है. दिल्ली एनसीआर में घर खरीदारों को इनकम का 28 फीसदी रकम ईएमआई के भुगतान पर खर्च पड़ता है. हैदरबाद के लोगों के आय का 30 फीसदी हिस्सा ईएमआई के भुगतान पर खर्च हो जाता है. जबकि मुंबई के लोगों को अपने कुल इनकम में से आधे से ज्यादा रकम ईएमआई चुकाने पर खर्च पड़ते हैं.
2019 में मुंबई के बायर्स 67% कर रहे थे EMI पर खर्च
कोरोना महामारी के ठीक पहले 2019 में मुंबई के लोगों को अपने इनकम का 67 फीसदी रकम ईएमआई के भुगतान पर खर्च करना पड़ रहा था. 2020 में ये घटकर 61 फीसदी, पर आ गया. 2021 में 52 फीसदी, 2022 में 53 फीसदी, 2023 में 51 फीसदी रकम खर्च पड़ना रहा था. जबकि 2010 में आय का 92 फीसदी रकम ईएमआई के भुगतान पर चला जा रहा था. नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक 2010 से 2021 के दौरान टॉप 8 शहरों में अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स में लगातार सुधार देखने को मिला है. खासतौर से कोविड महामारी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में भारी कटौती कर दी थी जिसके चलते लोगों की घर खरीदने की क्षमता में इजाफा हुआ तो इनकम के मुकाबले ईएमआई के भुगतान पर कम पैसे खर्च करने पड़ रहे थे.
2023 से अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स में सुधार
मई 2022 के बाद से आरबीआई ने महंगाई पर नकेल कसने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी. एक साल से भी कम समय में रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई और ये 4 फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी पर चला गया जिसके चलते 2022 में होमबायर्स को इनकम के मुकाबले ईएमआई भुगतान पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे थे. लेकिन 2023 फरवरी के बाद रेपो रेट स्ठिर है साथ ही लोगों की आय भी इस अवधि में बढ़ी है जिसके चलते प्रॉपर्टी कीमतों में बढ़ोतरी और उच्च ब्याज दरों के चलते महंगी ईएमआई के बावजूद अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स में सुधार हुआ है. नाइट फ्रैंक के मुताबिक ब्याज दरों के स्टेबल रहने का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है.
स्टेबल होमलोन रेट के चलते अफोर्डेबल रहेगा घर खरीदना
अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स पर कमेंट करते हुए नाइट फ्रैंक के चेयरमैन और एमडी शिशिर बैजल ने कहा, अफोर्डेबिलिटी में स्थिरता घर खरीदारी की गति को बनाये रखने और सेल्स में तेजी के बने रहने के लिए बेहद जरूरी है जिससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलती है. उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2024-25 में आरबीआई के 7.2 फीसदी जीडीपी अनुमान और स्ठिर ब्याज दरों की स्थिति, इनकम और अफोर्डेबिलिटी लेवल में सुधार के चलते 2024 में घरों की डिमांड में तेजी बने रहने की उम्मीद है.
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