Sebi on Mutual Fund Investor: म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में पारदर्शिता लाने के लिए सेबी (SEBI) ने एमएफ स्कीम में यूनिफार्म टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) का प्रस्ताव दिया है. म्यूचुअल फंड के लिए इसे बड़ा बदलाव लाने वाला कदम माना जा रहा है, जिसे इंडस्ट्री में और अधिक पारदर्शिता व निष्पक्षता लाने के लिए डिजाइन किया गया है. यूनिफॉर्म टीईआई सभी फंडों के कॉस्ट कंपेरिजन को आसान बना देगा. हालांकि इस कदम से शॉर्ट टर्म की फंड कंपनियों पर असर पड़ सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार सेबी के नए नियम से एसेट मैनेजमेंट फर्म (AMC) के मार्जिन पर थोड़ा असर पड़ सकता है. यह तेजी से बढ़ते म्यूचुअल फंड मार्केट में रिटेल-फ्रेंडली माहौल को बढ़ावा देते हुए बाजार को 4 से 5 फीसदी कम कर सकता है.
क्या है टीईआर?
म्यूचुअल फंड कंपनी को इस योजना का प्रबंधन करने के लिए जो खर्च करना पड़ता है, उसे टीईआर कहा जाता है. सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में कहा है कि टीईआर अधिकतम एक्सपेंस अनुपात को दर्शाता है, जो इन्वेस्टर को भुगतान करना पड़ सकता है. इसमें इन्वेस्टर के सभी खर्चों को शामिल करने और तय टीईआर सीमा से अधिक अमाउंट से ज्यादा का चार्ज नहीं करने की बात कही गई है.
एमएफ इंवेस्टर्स के लिए सेबी का नया प्रस्ताव
- सेबी ने ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन को टीईआर सीमा के भीतर शामिल करने का प्रस्ताव दिया है.
- इसके अलावा सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) सहित इंवेस्ट के सभी खर्च और लागत टीईआर सीमा के भीतर करने का प्रस्ताव दिया है.
- यह भी सुझाव दिया गया है कि रेगुलर प्लान और डायरेक्ट प्लान के इंवेस्टर को हर खर्च चार्ज करने में एकरूपता होनी चाहिए.
- रेगुलर प्लान और डायरेक्ट प्लान के टीईआर के बीच एकमात्र अंतर डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन के खर्च का होना चाहिए.
- कैपिटल मार्केट रेगुलेटर ने सुझाव दिया कि टीईआर में बढ़ोतरी होने से यूनिट होल्डर को मौजूदा नेट एसेट वैल्यू पर बिना किसी एक्जिट लोड के बाहर निकलने का ऑप्शन दिया जाना चाहिए.
- यह सिफारिश की गई है कि इन्वेस्टर द्वारा सीधे अपफ्रंट भुगतान और इंवेस्ट से कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी.
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