म्यूचुअल फंड को उन निवेशकों के लिए बढ़िया इंस्ट्रूमेंट बताया जाता है, जो सीधे शेयर बाजार में निवेश का जोखिम नहीं सकते. पिछले दिनों शेयर बाजार ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन अब इसमें लगातार गिरावट आ रही है. यही वजह है कि निवेशक म्यूचुअल फंड खास कर इक्विटी फंडों में निवेश करने से बच रहे हैं. रॉयटर्स की एक खबर में कहा गया है कि भारत में अब छोटे निवेशक म्यूचुअल फंड बेच कर सीधे शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं. खबर के मुताबिक म्यूचुअल फंड का औसत से भी कम रिटर्न और शेयरों के अच्छे प्रदर्शन ने निवेशकों को सीधे शेयरों में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया है.


डीमैट अकाउंट की संख्या में काफी इजाफा


खबर में सेबी के आंकड़ों के हवाले से कहा गया गया है कि घरेलू निवेशकों ने इस साल फरवरी तक इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से लगभग 275 अरब रुपये निकाल लिए. जबकि 2020 में इन स्कीमों से 545 अरब रुपये निकाले गए थे. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक पिछले साल डीमैट अकाउंट की संख्या 27 फीसदी बढ़ गई. यानी 2020 तक 4.98 करोड़ डीमैट अकाउंट थे. इसका मतलब यह है निवेशक अब सीधे शेयरों में पैसा लगाने को प्राथमिकता दे रहे हैं.


रिटर्न की तुलना में म्यूचुअल फंड में निवेश की लागत बढ़ी


कुछ निवेशकों का कहना है कि म्युचुअल प्रबंधन की फीस ज्यादा होने और रिटर्न घटने की वजह से म्यूचुअल फंड अब आकर्षक नहीं रह गए हैं. ज्यादातर निवेशक अब लार्ज कैप म्यूचुअल फंड के बजाय सीधे शेयरों में पैसा लगा रहे हैं. दरअसल पिछले साल मार्च में शेयर बाजार की भारी गिरावट के बाद ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों में काफी गिरावट आई थी. लेकिन अब इनमें से कइयों के शेयरों में दोगुना तेजी आई है. इस वजह से भी सीधे शेयरों में निवेश की ओर निवेशकों का रुझान बढ़ा है.


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