डेट फंडों में डायनामिक बॉन्ड फंडों का रहा जलवा, रेपो रेट बढ़ने का मिला फायदा
घटते-बढ़ते रेपो रेट के इस दौर में निवेश सलाहकार आखिर डायनामिक बॉन्ड फंडों में निवेश की सलाह क्यों देते हैं? आइए, जानते हैं इसकी वजह.
Dynamic Bond Funds: पिछला एक साल डेट मार्केट के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है क्योंकि आरबीआई ने अपनी पिछली पॉलिसी मीटिंग्स में रेपो रेट्स में बढ़ोतरी की है. कुल मिलाकर इस साल अब तक आरबीआई दरों को 225 बीपीएस तक बढ़ा चुका है, और आगे क्या होगा इसे कोई नहीं जानता क्योंकि महंगाई लगातार आरबीआई के अनुमान से अब भी लगभग ऊपर ही बनी हुई है. वर्तमान बाजार परिस्थितियों को देखते हुए विशेषज्ञ डायनामिक बॉन्ड फंडों में निवेश की सिफारिश कर रहे हैं.
इस कैटेगरी में कई स्कीम उपलब्ध हैं. इनमें से आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऑलसीजन्स बॉन्ड फंड इसमें सबसे टॉप पर है. यह इस कैटेगरी में संपत्ति के मामले में एक बड़ी स्कीम भी है, और इसका 10 वर्षों से अधिक का लगातार अच्छा ट्रैक-रिकॉर्ड रहा है. यह स्कीम उस अवधि को बढ़ाती है जब ब्याज दर में पूंजी वृद्धि (capital appreciation) से होने वाली लाभ में गिरावट की उम्मीद होती है. यह उस अवधि को कम कर देती है जब ब्याज दर में वृद्धि होने की उम्मीद होती है ताकि नुकसान कम हो सके. इसके बारे में लिया जाने वाला कोई भी फैसला एक इन-हाउस मॉडल पर आधारित होता है जो कई छोटे बड़े फैक्टर्स को ध्यान में रखती है. जब ड्यूरेशन कॉल लेने की बात आती है तो यह फंड को आगे रहने में मदद करता है.
सही समय पर लिए गए फैसलों के चलते जिन निवेशकों ने फंड में निवेश बनाए रखा है, उन्हें अलग-अलग समय में फंड से लाभ हुआ है. 3, 5 और 10 वर्षों में इस फंड ने अपनी कैटेगरी में क्रमशः 7.59%, 8.19% और 9.3% रिटर्न देकर टॉप परफॉर्मर रहा है. इस फंड ने कैसे बाकी को पीछे छोड़ा है, इसे इसके विभिन्न समय-सीमाओं में देखा जा सकता है. (डेटा 28 दिसंबर, 2022 तक). इसी श्रेणी में कोटक डायनामिक बॉन्ड फंड ने 3 साल में 6.52 प्रतिशत और पांच साल में 7.88 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. वहीं, एक्सिस डायनामिक बॉन्ड फंड ने 3 साल में 6.42 प्रतिशत और पांच साल में 7.71 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
दूसरा पहलू इंटरेस्ट रेट पर आधारित है जो कॉर्पोरेट बॉन्ड और जी-सेक में निवेश करती है. इसलिए, जब ब्याज दरें अधिक होती हैं तो यह स्कीम लंबी अवधि की योजना की तरह व्यवहार करती है और जब ब्याज दरें कम होती है तो योजना एक संचय योजना (accrual scheme) की तरह व्यवहार करती है. मई 2009 में अपनी स्थापना के बाद से इस फंड ने विभिन्न ब्याज दरके दौर में अवधि या ड्यूरेशन को अच्छी तरह से मैनेज किया है. भले ही ब्याज दर का चक्र बढ़ रहा हो या घट रहा हो, यह फंड बाजार की स्थिति के अनुरूप खुद को समायोजित कर सकता है. इसका आंतरिक, ओनरशिप प्रोपराइटरी इकोनॉमिक मॉडल इस फंड के निवेश के बारे में फैसले लेना आसान बनाता है.
बढ़ती ब्याज दरों से लाभ पाने के साधन के रूप में इस योजना में 38.2% पर फ्लोटिंग रेट बॉन्ड के लिए हाई एलोकेशन है. फ्लोटिंग रेट बॉन्ड उस कैटेगरी के बॉन्ड होते हैं जो ब्याज दरोंमें किसी भी वृद्धि से लाभ पा रहे होते हैं, क्योंकि कूपन समय-समय पर रीसेट होते रहते हैं. यह निवेशकों के लिए अच्छे रिजल्ट में तब्दील हो सकता है.
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