निवेश और बचत करने के लिए हर कोई अपना-अपना तरीका अपनाता है. लोग कहां निवेश करते हैं, यह मुख्य तौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि वह कितना रिस्क उठा सकते हैं. जो लोग रिस्क से दूर रहते हैं, वे छोटी बचत योजनाओं या बैंक एफडी का तरीका अपनाते हैं, वहीं रिस्क उठाने से नहीं डरने वाले लोग अच्छे रिटर्न की चाह में शेयर बाजार का रुख करते हैं. बीते कुछ सालों में भारत में शेयर बाजार में पैसे लगाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इसके साथ ही म्यूचुअल फंड की भी डिमांड भी बढ़ी है.


बड़े काम आ सकते हैं ये फंड


आपने भी म्यूचुअल फंड में निवेश किया होगा या दोस्तों को ऐसा करते देखा होगा. म्यूचुअल फंड वास्तव में न सिर्फ महंगाई को मात देने वाला रिटर्न देते हैं, बल्कि लंबी अवधि में आपके फाइनेंशियल गोल को पूरा करने में बहुत मददगार साबित होते हैं. हालांकि इसके साथ-साथ म्यूचुअल फंड में निवेश करने का अपना रिस्क भी होता है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सही म्यूचुअल फंड का चयन कैसे करें, ताकि अच्छ रिटर्न तो मिले ही... साथ ही निवेश भी सुरक्षित रहे. आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं.


पुराना प्रदर्शन नहीं देता है गारंटी


म्यूचुअल फंड चुनते समय लोग जिस चीज पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं, वह है रिटर्न. यह गलत भी नहीं है, लेकिन सिर्फ रिटर्न देखकर पैसे लगा देना भारी पड़ सकता है. बीते दिनों में अगर किसी म्यूचुअल फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है तो यह इस बात की गारंटी नहीं है कि वह आगे भी बढ़िया ही रिटर्न दे. बाजार के जानकार अक्सर इन्वेस्टर को इस गलती से बचने की हिदायत देते हैं.


किसी से भी प्रभावित होने से बचें


इन्वेस्टर जो दूसरी सबसे बड़ी गलती करते हैं, वह है नाम से प्रभावित हो जाना. आज के समय में फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम और यूट्यूब तक ढेरों ऐसे फाइनेंशियल इंफ्लुएंसर मौजूद हैं, जिन्हें फिनफ्लुएंसर भी कहा जाता है. अमूमन ऐसे लोग निहित स्वार्थ के कारण किसी खास म्यूचुअल फंड स्कीम को प्रमोट करते हैं. इसके लिए वे प्रभावित करने वाले आंकड़ों का भी इस्तेमाल करता है. अगर आप भी म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने जा रहे हैं तो इस गलती से भी बचना जरूरी है. किसी इंफ्लुएंसर या उसके द्वारा बताए गए नामों के प्रभाव में नहीं आना है.


इस बात की कर लें अच्छे से परख


यह तो हो गई ‘क्या नहीं करना है’ की बात. अब हम बताते हैं कि आपको दरअसल करना क्या है... किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम की सफलता का कारण फंड हाउस या फंड मैनेजर नहीं होता है, बल्कि उसके शानदार रिटर्न का राज उसके तरीके में छिपा होता है. आपको किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसे लगाने से पहले ये देखना चाहिए कि उसकी प्रक्रिया क्या है. संबंधित स्कीम के फंड को किस तरह से इस्तेमाल किया जाना है. इस बात को अच्छे से परखते ही आपके सामने यह साफ हो जाएगा कि संबंधित म्यूचुअल फंड स्कीम आपके काम की है या नहीं.


उदाहरण के तौर पर, निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड ने ऐसी मजबूत प्रणालियां और प्रक्रियाएं बनाई हैं. फंड प्रबंधकों को इस ढांचे के भीतर काम करना आवश्यक है. प्रक्रियाएं फंड प्रबंधकों को यह जानने में मदद करती हैं कि अनिश्चित समय में क्या करना है. हालांकि वह बाजार की गतिविधियों को नियंत्रित नहीं कर सकता है, लेकिन प्रक्रियाएं उसे यह जानने में  मदद करती हैं कि उसे कहां निवेश करना है, कब निवेश करना है और कब निवेश से बाहर निकलना है.


निप्पॉन की प्रक्रिया में फंड प्रबंधकों के लिए यह जानने के लिए दिशानिर्देश शामिल हैं कि वे किस प्रकार का जोखिम ले सकते हैं, कितना जोखिम लेने की अनुमति है और ऐसा कोई जोखिम जो कभी नहीं लिया जाना चाहिए. यह प्रक्रिया व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों और एकाग्रता जोखिमों से बचाव भी सुनिश्चित करती है. विश्लेषकों का मानना है कि मजबूत प्रक्रियाओं वाले फंड हाउस संभावित रूप से निवेशकों को अधिक रिटर्न देते हैं.


डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.


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