साल 2023 शेयर बाजार के लिए वोलेटाइल साबित हुआ है. अब तक के सात महीनों में बाजार ने 52 सप्ताह का नया हाई और लो दोनों बनाया है. बाजार की इस अस्थिरता ने इन्वेस्टर्स के बीच हाइब्रिड म्यूचुअल फंडों की डिमांड बढ़ा दी है. आइए जानते हैं कि अभी लोगों को हाइब्रिड फंड क्यों पसंद आ रहे हैं और इस साल अब तक उनका प्रदर्शन कैसा रहा है...


ऐसा रहा है बाजार का हाल


सबसे पहले बात बाजार की करें तो बड़ी कंपनियों का इंडेक्स बीएसई सूचकांक अभी 65,700 अंक के पास है. इससे पहले जुलाई महीने के दौरान बाजार ने 52 सप्ताह का नया हाई लेवल बनाया. जुलाई में सेंसेक्स ने 67,620 अंक तक के स्तर को छुआ. वहीं मार्च के दौरान सेंसेक्स करीब 56 हजार अंक तक गिर गया था. इस तरह देखें तो सेंसेक्स की उथल-पुथल का दायरा 11-12 हजार अंकों का रहा है. सेंसेक्स के रिटर्न को देखें तो इस साल अब तक यह इंडेक्स करीब साढ़े सात फीसदी के फायदे में है.


हाइब्रिड फंडों का रिटर्न


अब विभिन्न हाइब्रिड फंडों के प्रदर्शन पर एक नजर डालते हैं. निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड और निप्पॉन इंडिया इक्विटी हाइब्रिड जैसे फंडों ने पिछले एक साल में क्रमश: 16.43 फीसदी और 18.74 फीसदी का मजबूत रिटर्न दिया है. वहीं एचडीएफसी मल्टी एसेट फंड और टाटा मल्टी एसेट फंड का रिटर्न क्रमशः 13.98 फीसदी और 15.25 फीसदी रहा है. बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और सुंदरम ने 10.94 फीसदी और 11.06 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है, जबकि निप्पॉन इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड ने 11.29 फीसदी का रिटर्न दिया है.


हाइब्रिड फंडों ने दी बाजार को मात


मतलब हाइब्रिड फंडों ने ब्रॉडर मार्केट के डबल रिटर्न देने में सफलता हासिल की है. अब जानते हैं कि आखिर हाइब्रिड फंडों को इन्वेस्टर पसंद क्यों कर रहे हैं. दरअसल शेयर बाजारों के वोलेटाइल होने और अर्थव्यवस्था के गोल्डीलॉक्स जोन में रहने के कारण म्यूचुअल फंड के निवेशक हाइब्रिड फंडों की ओर रुख कर रहे हैं.


एक साथ इतने फायदे देते हैं ये फंड


हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट दोनों में और यहां तक कि कुछ मामलों में सोने और चांदी में भी निवेश करते हैं. इसका मतलब हुआ कि हाइब्रिड फंड आपको एक ही इन्वेस्टमेंट पर डायवर्स पोर्टफोलिया का फायदा दिलाते हैं. डायवर्स इन्वेस्टमेंट के कारण हाइब्रिड फंड स्टेबल और बैलेंस्ड रिटर्न देते हैं. इन फंडों में निवेशकों को लो को-रिलेशन का भी फायदा मिलता है. इसका मतलब हुआ कि हाइब्रिड फंड इन्वेस्टर्स को एक साथ डायवर्स पोर्टफोलियो, मल्टी-एसेट एलोकेशन और लो को-रिलेशन का फायदा देते हैं.


ये फैक्टर बना रहे हैं आकर्षक


बाजार के जानकारों का कहना है कि अभी के हालात ऐसे फंडों को आकर्षक बना रहे हैं. एक तरफ भारत दुनिया की सबसे तेज गति से तरक्की करती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है, दूसरी ओर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता का माहौल हावी है. ऐसे में भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों को भी खींच रहा है. ऐसी स्थिति में अगर कोई फंड भारत के इक्विटी और डेट मार्केट, दोनों का एक साथ फायदा दे तो यह खास तौर पर वैसे निवेशकों के लिए आदर्श हो जाता है, जो अच्छा रिटर्न तो चाहते हैं लेकिन रिस्क उठाने की क्षमता कम है.


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