Active Vs Passive Funds: हाल के वर्षों में निवेश के साधन के तौर पर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) तेजी से लोकप्रिय हुए हैं. लोग बेहतर रिटर्न (Better Return) की चाह में म्यूचुअल फंड का रास्ता चुन रहे हैं. हालांकि इसमें भी लोगों के सामने कई प्रकार के कंफ्यूजन होते हैं. लोग समझ नहीं पाते हैं कि उन्हें किस तरह के म्यूचुअल फंड में पैसे लगाना चाहिए.


म्यूचुअल फंड के प्रकार


सबसे पहले आपको बता दें कि म्यूचुअल फंड मुख्य तौर पर दो तरह के होते हैं. पहला एक्टिव म्यूचुअल फंड (Active Mutual Fund) और दूसरा पैसिव म्यूचुअल फंड (Passive Mutual Fund). कोरोना महामारी के दौरान पैसिव फंड तेजी से पसंदीदा एसेट क्लास के रूप में उभरकर सामने आया. एएमएफआई के ताजा आंकड़ों (AMFI Data) के अनुसार, ETF मार्केट में जनवरी 2023 में अच्छी तेजी देखी गई. ETF की बाजार हिस्सेदारी जनवरी 2022 में 11.2 फीसदी थी, जो बढ़कर जनवरी 2023 में 13.1 फीसदी हो गई.


ऐसे दर्ज की गई बढ़ोतरी


दिसंबर 2022 तक म्यूचुअल फंड अकाउंट्स (Mutual Fund Accounts) की संख्या 14 करोड़ 11 लाख 19 हजार 590 थी, जिसमें इक्विटी आधारित खातों का हिस्सा 67.5 फीसदी,  एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) एवं फंड ऑफ फंड्स (FoF) की हिस्सेदारी 12.5 फीसदी और हाइब्रिड स्कीम की हिस्सेदारी 8.5 फीसदी थी. खातों की संख्या के आधार, दिसंबर 2022 में ETF व FoF, हाईब्रिड एवं डेट आधारित फंड को पछाड़कर दूसरी सबसे बड़ी कटैगरी बन गया है.  31 जनवरी 2023 तक ETF और इंडेक्स फंड की संख्या बढ़कर 305 हो गई, जो 31 जनवरी 2022 को 196 थी. इस लिहाज से सिर्फ एक साल में 56 फीसदी की तेज वृद्धि दर्ज की गई है.


क्या है दोनों के बीच फर्क


अब आपको दोनों प्रकार के फंड्स में क्या अंतर हैं, यह बता दें. अगर आपको निवेश के बारे में जानकारी नहीं है या फिर बहुत कम जानकारी है, तो ऐसे में पैसिव फंड जैसे ETF और इंडेक्स फंड के रास्ते म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही है. पैसिव फंड ऐसे निवेशकों के लिए है, जो कम रिस्क लेना चाहते हैं. साथ ही, पैसा लगाने के लिए कौन-सा फंड चुनें, इस झंझट से बचाता है.


एक्टिव और पैसिव म्यूचुअल फंड क्या हैं?


पैसिव म्यूचुअल फंड बाजार को ट्रैक करता है. इसी के चलते एक्टिव फंड के मुकाबले इसमें उतार-चढ़ाव कम होता है. यह नए निवेशकों या फिर उन निवेशकों के लिए अच्छा है जो रिटर्न के बजाये सेफ्टी को तवज्जो देते हैं. इंडेक्स फंड और ETF आदि पैसिव फंड हैं, जो अपने अंडरलाइंग बेंचमार्क को ट्रैक करते हैं. ये दोनों फंड उन्हीं कंपनियों में निवेश करते हैं, जो बेंचमार्क इंडेक्स में शामिल होती हैं.


इस उदाहरण से समझें


उदाहरण के लिए, निफ्टी50 इंडेक्स फंड या ETF निफ्टी50 की 50 कंपनियों में निवेश करते हैं. इसी तरह, सेंसेक्स इंडेक्स फंड या ETF सेंसेक्स की 30 कंपनियों में निवेश करते हैं. गोल्ड, कमोडिटीज, बैंक, हेल्थकेयर समेत कई कैटेगरी के लिए ETF और इंडेक्स फंड उपलब्ध हैं. वहीं, इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड फंड या फंड ऑफ फंड्स आदि एक्टिव मैनेज्ड फंड के दायरे में आते हैं.


जब एक्टिव म्यूचुअल फंड की बात आती है, तो यहां इन एक्टिव मैनेज्ड म्यूचुअल फंड के मैनेजर (फंड मैनेजर) फंड की स्ट्रैटजी तैयार करने के लिए काफी स्टडी और एनालिसिस करते हैं. यही नहीं, वे नियमित तौर पर खरीद-बिक्री से जुड़े फैसले भी लेते हैं. यहां पर फंड मैनेजर सक्रिय रूप से एक्टिव म्यूचुअल फंड का प्रबंधन करते हैं. इसके अलावा, निवेशकों को बहुत ज्यादा रिसर्च या एनालिसिस करने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि ये काम फंड मैनेजर के जिम्मे होता है.


डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है की मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)