Infosys के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि ने इस मशहूर शिक्षा संस्थान को दिए 315 करोड़ रुपये, रहा है बड़ा कनेक्शन
Nandan Nilekani Donation: नंदन नीलेकणि ने जिस मशहूर शिक्षा संस्थान को 315 करोड़ रुपये दिए हैं उसका उनके जीवन से बड़ा गहरा नाता रहा है. जानें क्या है वो कनेक्शन...
Nandan Nilekani Donation: देश के एक प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान को इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने करोड़ों की रकम देने का ऐलान किया है. एक प्रेस रिलीज और ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी गई है कि आईआईटी- बॉम्बे को 315 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं. प्रेस रिलीज में इस बात का भी जानकारी है कि नंदन नीलेकणि की ओर से ये आर्थिक योगदान उनकी पहले की गई 85 करोड़ रुपये से आगे की ग्रांट है जो उनके कुल योगदान को 400 करोड़ रुपये तक पहुंचा रहा है. दरअसल नंदन नीलेकणि ने आईआईटी-बॉम्बे से ही अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है जो कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में थी.
नंदन नीलेकणि ने क्या कहा
इस मौके पर नंदन नीलेकणि ने कहा, "आईआईटी-बॉम्बे मेरे जीवन की आधारशिला रहा है, जिसने मेरे प्रारंभिक वर्षों को आकार दिया और मेरी यात्रा की नींव रखी. यह दान केवल एक वित्तीय योगदान से बढ़कर है; यह उस जगह के लिए एक श्रद्धांजलि है जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है और उन छात्रों के प्रति प्रतिबद्धता है जो कल हमारी दुनिया को आकार देंगे."
आईआईटीबी के डायरेक्टर के साथ साइन किया गया एमओयू
इस दान के लिए आज बंग्लुरू में मैमोरंडम ऑफ अंडरटेकिंग (MoU) साइन किया गया जो कि नंदन नीलेकणि और प्रोफेसर शुभाशीष चौधरी ने किया. प्रोफेसर चौधरी आईआईटी-बॉम्बे के डायरेक्टर हैं. इसके बाद जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि ये दान आईआईटी बॉम्बे में वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के उभरते क्षेत्रों में रिसर्च को प्रोत्साहित करने और एक गहन तकनीकी स्टार्टअप इकोसिस्टम का पोषण करने में मददगार होगा.
आईआईटी-बॉम्बे के डायरेक्टर ने जताई खुशी
आईआईटी-बॉम्बे के डायरेक्टर शुभाशीष चौधरी ने कहा कि यह दान आईआईटी बॉम्बे के विकास को काफी तेजी देगा और इसे वैश्विक नेतृत्व के पथ पर मजबूती से स्थापित करेगा. नंदन का योगदान भारत में विश्वविद्यालयों में रिसर्च और डेवलपमेंट को आगे बढ़ाने के लिए परोपकारी योगदान को और बढ़ावा देगा.
नंदन नीलेकणि 2009 से 2014 तक कैबिनेट मंत्री के पद पर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के फाउंडर प्रेसिडेंट थे.
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