Narayana Murthy: नारायण मूर्ति ने 4 महीने के बच्चे को गिफ्ट किए 240 करोड़ रुपये के शेयर, कौन है यह लकी किड
Infosys Shares: नारायण मूर्ति के इस फैसले के बाद अब इंफोसिस में उनकी हिस्सदारी 0.36 फीसदी ही रह गई है. इंफोसिस ने एक्सचेंज फाइलिंग में उनके इस फैसले की जानकारी दी है.
Infosys Shares: इंफोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) की दिग्गज टेक कंपनी में हिस्सेदारी अब सिर्फ 0.36 फीसदी रह गई है. उन्होंने इंफोसिस (Infosys) में अपनी 0.04 फीसदी हिस्सेदारी अपने पोते एकाग्र रोहन मूर्ति (Ekagrah Rohan Murthy) को दे दी है. रोहन मूर्ति (Rohan Murthy) के बेटे एकाग्र की उम्र सिर्फ 4 महीने है. इस हिस्सेदारी की फिलहाल मार्केट वैल्यू लगभग 240 करोड़ रुपये बैठती है.
एकाग्र के पास इंफोसिस के 15,00,000 शेयर होंगे
इंफोसिस की एक्सचेंज फाइलिंग से पता चला है कि नारायण मूर्ति ने लगभग 240 करोड़ रुपये के शेयर एकाग्र को दे दिए हैं. इस ट्रांसफर के बाद एकाग्र के पास देश की दूसरी सबसे बड़ी टेक कंपनी इंफोसिस के 15,00,000 शेयर होंगे. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, अब इस ऑफ मार्केट ट्रांसफर के बाद नारायण मूर्ति के पास लगभग 1.51 करोड़ शेयर बचे हैं, जो कि लगभग 0.36 फीसदी हिस्सदारी बनती है.
नवंबर 2023 में माता-पिता बने थे रोहन और अपर्णा
रोहन मूर्ति और अपर्णा कृष्णन (Aparna Krishnan) नवंबर, 2023 में माता-पिता बने थे. एकाग्र के जन्म के साथ ही नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) दादा-दादी बन गए थे. उनकी बेटी अक्षता मूर्ति (Akshata Murthy) की शादी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) से हुई है. इनको दो बेटियां हैं.
1999 में हुई नैस्डेक में लिस्ट हुई थी इंफोसिस
नारायण मूर्ति ने 1981 में इंफोसिस की शुरुआत की थी. कंपनी की नैस्डेक में लिस्टिंग मार्च, 1999 में हुई. मूर्ति ने कहा था कि इस लिस्टिंग से उन्हें दुनिया का बेस्ट टैलेंट हासिल करने में आसानी होगी. हाल ही में उन्होंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान नैस्डेक लिस्टिंग को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल बताया था. उन्होंने कहा था कि जब मैं उन चमकती लाइट के सामने बैठा तो बहुत गर्व महसूस कर रहा था. इंफोसिस नैस्डेक में लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी थी.
कुछ बड़े फैसले टाले लेकिन कोई पछतावा नहीं
नारायण मूर्ति ने कहा था कि उन्हें कुछ बड़े निर्णय लेने चाहिए थे. हालांकि, मैंने पहले ही दिन से सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने का फैसला लिया था. हमने अपनी यात्रा के दौरान कुछ बड़े फैसले टाल दिए. इसकी वजह से कुछ हद तक कंपनी की तरक्की में थोड़ी कमी आई. हालांकि, मुझे वो फैसले न लेने का कोई पछतावा नहीं है.
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