Narayana Murthy: नारायण मूर्ति ने बताए सफल ब्रांड बनाने के नुस्खे, कंपनियों से अपने अनुभव साझा किए
Consumer Brand: इंफोसिस को जन्म देने वाले नारायण मूर्ति ने अपने अनुभवों से कंपनियों को सफल होने के रास्ते बताए हैं. उन्होंने उपभोक्ताओं पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने को कहा है.
Consumer Brand: इंफोसिस (Infosys) के फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने कंपनियों को ग्राहकों के हिसाब से काम करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि अगर आपको सफल ब्रांड बनाना है तो कस्टमर्स को उनके पैसों के बदले ज्यादा सेवाएं देनी होंगी. अच्छे कंज्यूमर ब्रांड के लिए अभी के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा मूल्य कंपनियों को वापस करना होगा. नारायण मूर्ति ने मैसूरु में वेनस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सालाना सम्मेलन में सफल कंज्यूमर ब्रांड बनाने के लिए कारोबारियों के साथ अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने जोर दिया कि सभी ब्रांड्स को कस्टमर्स को ज्यादा से ज्यादा मूल्य देने की कोशिश करनी चाहिए. ब्रांड अपने विज्ञापनों में जितना देने का दावा करते हैं, उन्हें उससे लगभग 10 फीसदी ज्यादा देना चाहिए.
कीमत बढ़ाने से पहले कस्टमर्स के बारे में सोचें
उन्होंने कहा कि यदि आप किसी प्रोडक्ट की कीमत बढ़ाना चाहते हैं तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि ज्यादा पैसा देते समय कस्टमर महसूस करे कि उसे अतिरिक्त पैसों के बदले बेहतरीन सेवाएं मिली हैं. कीमत के बदले मिलने वाले मूल्य से ही खरीदारी के फैसले किए जाते हैं. मूर्ति ने बताया कि ग्राहक जब किसी सेवा या उत्पाद के बदले पैसा चुकाते हैं तो उन्हें लगना चाहिए कि यह सही निर्णय है. पैसों के बदले उन्हें उचित मूल्य का सामान या सेवा मिली है.
लोगों के लिए स्टेटस सिम्बल बन जाते हैं कई प्रोडक्ट
नारायण मूर्ति की यह सलाह उनकी उपभोक्ता व्यवहार के बारे में गहरी समझ को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे प्रोडक्ट एवं सर्विसेज हैं, जिन्हें खरीदकर लोग गौरव की अनुभूति करते हैं. ये प्रोडक्ट उनके स्टेटस सिम्बल को दर्शाते हैं. उन्होंने कहा कि लोग अपने घर में रखे रेफ्रिजरेटर, किसी ब्रांड का फोन या घड़ी को कई बार अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों को दिखाते हैं. इसमें उन्हें गर्व की अनुभूति होती है. लोग सोचते हैं कि अगर उनके पास एक खास फोन या घड़ी है तो इससे उन्हें अपने आस-पास के लोगों के बीच एक खास कद और प्रतिष्ठा मिलती है.
भावनात्मक भी होती है प्रोडक्ट की वैल्यू
नारायण मूर्ति ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि प्रोडक्ट वैल्यू को सिर्फ पैसों में भी नहीं तोला जा सकता. मूर्ति ने बताया कि प्रोडक्ट वैल्यू भावनात्मक भी होती है. इसके अलावा उन्होंने कार्यक्रम में लीडरशिप पर भी चर्चा की. महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए मूर्ति ने कहा कि हमें उनके सिद्धांतों का पालन करना चाहिए. वह पारदर्शिता और अखंडता के बारे में बात करते थे. उन्होंने कारोबारियों को सुझाव दिया कि उन्हें भी महात्मा गांधी से सीखना चाहिए.
आईटी के प्रयोग से दें बेहतरीन सेवाएं
इसके अलावा मूर्ति ने कहा कि सरकारी अस्पताल टैक्स देने वालों के पैसों से बनते हैं. इसलिए इन अस्पतालों का मैनेजमेंट बेहतरीन तरीके से होना चाहिए. उनमें आईटी का इस्तेमाल भी बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों को सर्वोत्तम सेवाएं मिल सकें. यह समाज की जिम्मेदारी है कि वह टैक्स के पैसे का इस्तेमाल बहुत लगन और सावधानी से करें.
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