Nasscom: कर्नाटक सरकार द्वारा प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन पर बिल लाने के खिलाफ कारोबार जगत से तीखी प्रतिक्रिया आई है. इस बिल से खफा कई कारोबारियों ने अपनी चिंता जाहिर की है. इसके अलावा उद्योग जगत की बड़ी संस्था नैसकॉम ने कहा है कि लोकल लेवल पर स्किल्ड टैलेंट की कमी होने की वजह से इस तरह के कानून कंपनियों को राज्य छोड़ने पर मजबूर कर देंगे. इस विधेयक को राज्य कैबिनेट ने 15 जुलाई को मंजूरी दे दी थी. 


कर्नाटक से दूरी बनाने लगेंगी कंपनियां- नैसकॉम


नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (Nasscom) ने कर्नाटक सरकार से अपील की है कि वह विधेयक को रद्द कर दे. नैसकॉम ने बुधवार को कहा कि वह उद्योगों में स्थानीय लोगों के लिए कर्नाटक सरकार के फैसले से निराश और बेहद चिंतित है. कर्नाटक सरकार अपने राज्य के लोगों के लिए नौकरियों में रिजर्वेशन पर विधेयक लाई है. हालांकि, कारोबारियों ने चिंता जताई है कि ऐसे कानूनों के चलते कंपनियां कर्नाटक से दूरी बनाने लगेंगी. 


टेक सेक्टर का राज्य की जीडीपी में 25 फीसदी योगदान


मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) की अध्यक्षता में 15 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दे दी गई थी. इसमें प्राइवेट कंपनियों की मैनेजमेंट जॉब्स में स्थानीय लोगों के लिए 50 फीसदी और नॉन मैनेजमेंट जॉब में 75 फीसदी प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य कर दिया गया है. नैसकॉम ने कहा कि ऐसे कानून कंपनियों के लिए ठीक नहीं हैं. टेक्नोलॉजी सेक्टर ने राज्य की जीडीपी में 25 फीसदी का योगदान दिया है. यहां 11,000 से ज्यादा स्टार्टअप और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर का 30 फीसदी मौजूद है.


राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक करेगा नैसकॉम


नैसकॉम के अनुसार, यह विधेयक प्रगति को उल्टी दिशा में ले जाने वाला, कंपनियों को दूर करने और स्टार्टअप की तरक्की को रोकने वाला है. यह पूरी दुनिया में राज्य की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है. कर्नाटक में कंपनियां ज्यादा से ज्यादा निवेश करना चाहती हैं. मगर, इस तरह के नियम निवेश को राज्य से दूर कर देंगे. नैसकॉम ने कहा कि वह राज्य के अधिकारियों के साथ तत्काल एक बैठक करेंगे. प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण के लिए पहला प्रयास हरियाणा में किया गया था. इस फैसले पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने नवंबर, 2023 में रोक लगा दी थी.


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