आरबीआई ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी NBFC के बेहतर रेगुलेशन का प्लान बनाया है. पिछले एक-दो साल से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में गड़बड़ियों के बाद आरबीआई के लिए यह चिंता का विषय बन गया है. आरबीआई ने अपने एक डिस्कशन पेपर में नियमन के ढांचे और तरीके का जिक्र किया है.
आरबीआई के डिस्कशन पेपर में सख्त उपाय की सिफारिश
आरबीआई के डिस्कशन पेपर के मुताबिक एनबीएफसी के लिए नियमन और निगरानी के लिए चार स्तरीय रणनीति बनाने की जरूरत है. इसमें एनबीएफसी को उनके पूंजी आधार पर चार वर्गो में विभाजित करने, इनके पूंजी आधार में भारी वृद्धि करने और सामान्य बैंकों की तरह ही NPA के नियम लागू करने की बात है. ये स्तर होंगे- बेस लेयर, मिडिल लेयर, अपर लेयर और टॉप लेयर. टॉप लेयर वाली एनबीएफसी का पूंजी आधार 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. कहा गया है कि बेहद बड़ी एनबीएफसी को देश की पूंजी व्यवस्था के लिए काफी अहम है. लिहाजा इनके लिए ज्यादा सख्त मानक तय करने करने होंगे.
एनबीएफसी कंपनियों का बढ़ा लेकिन गडबड़ियां भी आ रही हैं सामने
सभी एनबीएफसी के लिए एनपीए के नियम बैंकों की तरह करने की सिफारिश की गई है. यानी अगर कोई ग्राहक 90 दिनों तक कर्ज नहीं चुकाता है तो उसके खाते को एनपीए घोषित करना होगा. आइएलएंडएफएस के ध्वस्त होने और उसके बाद कुछ दूसरी बड़ी एनबीएफसी के नाकाम रहने के बाद इनके नियमन को लेकर सवाल उठ रहे थे. इस पर आरबीआई ने एक समिति गठित की थी, जिसके सुझावों को अब सार्वजनिक किया गया है. पिछले पांच साल के दौरान होम फाइनेंस कंपनी समेत तमाम एनबीएफसी कंपनियों की बैलेंस शीट दोगुना बढ़ कर 20.72 लाख करोड़ रुपये बढ़ कर 49.22 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है.
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