Go First NCLT Hearing: भ्यानक कर्ज संकट से जूझ रही विमानन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) को बुधवार को बड़ी राहत मिल गई. एनसीएलटी (NCLT) ने दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के कंपनी के आवेदन को स्वीकार कर लिया. हालांकि एनसीएलटी ने कंपनी को इसे साथ यह हिदायत भी दी है कि वह अभी किसी भी कमर्चारी को नौकरी से नहीं निकाल सकती है.
कानूनी कार्रवाई से मिली सुरक्षा
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण यानी एनसीएलटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति रामलिंग सुधाकर और न्यायमूर्ति एल एन गुप्ता की पीठ ने कर्ज में फंसी कंपनी को चलाने के लिये अभिलाष लाल को अंतरिम पेशेवर नियुक्त किया. पीठ ने कंपनी को किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से संरक्षण भी दिया और ऋण शोधन कार्यवाही यानी दिवाला प्रक्रिया के दौरान उसे चलाने के लिये निलंबित निदेशक मंडल से समाधान पेशेवर की मदद करने को कहा.
कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत
इसके अलावा, एनसीएलटी ने कंपनी को परिचालन जारी रखने के लिए कहा है तथा किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं करने को कहा है. यह गो फर्स्ट के उन हजारों कर्मचारियों के लिए भी बड़ी राहत है, जिनके सामने अचानक बेरोजगार होने का संकट खड़ा हो गया था. गो फर्स्ट के कर्मचारियों की मौजूदा संख्या करीब 7 हजार है. कंपनी की हालत को देखते हुए इनमें से कइयों ने दूसरी नौकरी खोजने की प्रक्रिया तेज कर दी थी. खबरों में बताया गया था कि गो फर्स्ट के कई कर्मचारी एअर इंडिया की जारी भर्ती में इंटरव्यू देने गए थे.
इन कंपनियों ने किया था विरोध
एनसीएलटी ने वाडिया समूह की एयरलाइन कंपनी तथा विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों की दलीलों को सुनने के बाद चार मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. एनसीएलटी की दिल्ली बेंच ने तब कहा था कि दिवाला एवं शोधन अधिनियम के तहत अंतरिम तौर पर मोरेटोरियम का कोई प्रावधान नहीं है. अगर ट्रिब्यूनल याचिका को स्वीकार करती है तो सिर्फ एब्सॉल्यूट मोरेटोरियम का प्रावधान है. विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों ने याचिका का विरोध करते हुए अंतरिम सरंक्षण देने का आग्रह किया था.
कंपनी ने इस कारण लगाई गुहार
वाडिया समूह की विमानन कंपनी ने गंभर कर्ज संकट के बीच एनसीएलटी से राहत की गुहार लगाई थी. इसके लिए कंपनी ने खुद से इन्सोल्वेंसी की याचिका दायर करते हुए राहत की मांग की थी. कंपनी ने याचिका में कहा था कि वह अपनी वित्तीय देनदारियों का बोझ उठाने में असमर्थ है. कंपनी अपनी असफलता का दोष इंजन सप्लायर प्रैट एंड व्हिटनी पर मढ़ रही है. उसका आरोप है कि प्रैट एंड व्हिटनी के द्वारा विमानों के इंजन की सप्लाई समय पर नहीं किए जाने के चलते 50 फीसदी विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं.
गो फर्स्ट के ऊपर अभी इतना बकाया
गो फर्स्ट ने 17 साल पहले परिचालन की शुरुआत की थी. कंपनी के ऊपर अभी कुल 11,463 करोड़ रुपये का बकाया है. इसमें से कंपनी 3,856 करोड़ रुपये का भुगतान करने में डिफॉल्ट का सामना कर चुकी है. एनसीएलटी के समक्ष दायर याचिका में विमानन कंपनी ने बताया है कि उसके ऊपर विमान लीज देने वाली कंपनियों का 2,600 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं 30 अप्रैल तक फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 6,521 करोड़ रुपये बाकी थे.
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