(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Reliance Capital: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदने पर नहीं बनी बात, टॉरेंट की अर्जी पर NCLT ने उठाया कदम
Reliance Capital E-Auction: मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी का मालिक कौन होगा, इस पर अभी फैसला नहीं हो पाया है. NCLT ने टॉरेंट ग्रुप की अर्जी पर बड़ा कदम उठाया है.- जानें
Reliance Capital E-Auction: कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल किसके हिस्से आएगी, इस पर अभी भी फैसला नहीं हो पाया है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने टॉरेंट ग्रुप की याचिका पर कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के रिजॉल्यूशन प्रोसेस पर मंगलवार को रोक लगा दी. 3 जनवरी 2023 के रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के कर्जदाताओं की कमिटी यानि कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स इंसोल्वेंसी रिजॉल्युशन प्रोसेस के तहत बैठक हुई जिसमें टॉरेंट ग्रुप और हिंदुजा ग्रुप दोनों की बोलियों पर चर्चा की गई है. सूत्रों ने कहा कि गुजरात के टॉरेंट ग्रुप ने इस याचिका में हिंदुजा ग्रुप की तरफ से संशोधित बोली लगाए जाने को चुनौती दी है. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीएलटी मुंबई ने ऋणशोधन प्रक्रिया पर रोक लगा दी.
क्यों नहीं हो पाया रिलायंस कैपिटल की बोली जीतने पर फैसला
रिलायस कैपिटल के लिए ई-ऑक्शन में टॉरेंट ग्रुप 8,640 करोड़ रुपये के ऑफर के साथ सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरा जबकि हिंदुजा ग्रुप की बोली 8,110 करोड़ रुपये रही. हालांकि ई-नीलामी के अगले दिन हिंदुजा ग्रुप ने अपने ऑफर को रिवाइज करते हुए 9,000 करोड़ रुपये कर दिया. दरअसल ई-ऑक्शन के खत्म होने के बाद हिंदुजा ग्रुप ने पुरानी बोली में सुधार करते हुए फिर से रिजॉल्युशन प्रोसेस पेश किया और बोली की रकम को बढ़ाकर 9,000 करोड़ रुपये कर दिया. इसके अलावा कंपनी ने 100 फीसदी कैश देने का ऑफर भी पेश कर डाला. वहीं दूसरी तरफ टॉरेंट ग्रुप ने केवल 3750 करोड़ रुपये अपफ्रंट कैश देने का ऑफर दिया है जो कि हिंदुजा ग्रुप के ऑफर का 54 फीसदी है.
टॉरेंट ग्रुप ने क्यों जताई आपत्ति
इसके बाद टॉरेंट ग्रुप ने अपनी याचिका में दावा किया कि ईऑक्शन के बाद हिंदुजा ग्रुप की तरफ से संशोधित पेशकश करना गलत और अवैध है. राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने एडमिनिस्ट्रेशन से टॉरेंट ग्रुप की यचिका पर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी.
क्यों हो रहा है रिलायंस कैपिटल के लिए ये ई-ऑक्शन
रिलायंस कैपिटल के बड़े कर्जदाताओं LIC और EPFO की पहल पर यह ई-ऑक्शन किया गया है. इन दोनों की COC में सम्मिलित हिस्सेदारी 35 फीसदी है. यह पहला मौका है जब इंसॉल्वेंसी एंड बैंकिंग कोड (आईबीसी) के तहत किसी एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) के लिए ई-नीलामी की गयी थी. रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के कर्जदाताओं की कमिटी सीओसी ने 21 दिसंबर को हुए ऑक्शन में 6500 करोड़ रुपये का फ्लोर प्राइस फिक्स किया था. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिईब्युनल यानि एनसीएलटी ने 31 मार्च 2023 तक रिलायंस कैपिटल के रिजॉल्युशन प्रोसेस को पूरा करने की डेडलाइन तय की है.
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