सभी को लगता है कि जो लोग करोड़ों रुपए कमाते हैं या इनकम टैक्स (Income Tax) की चोरी करते हैं, केवल उन्हीं के यहां टैक्स स्क्रूटनी का नोटिस आता है, लेकिन ऐसा नहीं है. हालिया टैक्स बदलाव के बाद अगर आपके इनकम टैक्स में थोड़ी भी गड़बड़ी हुई तो आपके पास भी स्क्रूटनी का नोटिस आ जाएगा. सुनकर हैरान हो रहे होंगे, लेकिन ये सौ फीसदी सच है. अब तक जो लोग टैक्स के बारे में जानने के बजाय उसे अकाउंटेंट या सीए पर छोड़ देते थे, उनको टैक्स के बारे में जानना चाहिए. बीते 13 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टैक्स सिस्टम में बदलाव का ऐलान किया था. इसमें उन्होंने तीन मुख्य फायदे बताए थे- पहला फेसलैस असेसमेंट, फेसलैस अपील और टैक्स पेयर चार्टर. आपको आसान भाषा में बताएंगे कि टैक्स सिस्टम में हुए बदलाव से आपके ऊपर क्या फर्क पड़ेगा.
कैसे है पुराना सिस्टम
देश में करीब 1.5 करोड़ लोग इनकम टैक्स देते हैं. टैक्सपेयर अपनी साल भर की इनकम पर टैक्स देता है और इसके लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करता है. इसमें वह अपनी इनकम टैक्स का पूरा लेखा-जोखा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेजता है. एम्प्लाई Form 16 के जरिए अपना टैक्स फाइल करते हैं. कई बार व्यक्ति अपनी इनकम से कम आईटीआर (ITR) फाइल करने के दौरान दिखा देते हैं, ऐसे में अगर आपके दोनों रिकॉर्ड एक जैसे नहीं निकले, तो इनकम टैक्स विभाग आपको सेक्शन 143 (1) के तहत नोटिस भेजता है. इसमें आपको स्क्रूटनी ऑफिसर से जाकर मिलना पड़ता है और ऐसी स्थिति में भ्रष्टाचार (रिश्वत) की संभावना ज्यादा रहती है.
क्या है नया सिस्टम
फेसलैस असेसमेंट एंड फेसलैस अपील- इस नए सिस्टम में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम में आपके डेटा को मैच किया जाएगा. इसके बाद किसी भी ऑफिसर को डेटा आगे भेज दिया जाएगा और वह आपको गड़बड़ी होने पर नोटिस भेजेगा. आपके और ऑफिसर के बीच जो भी बातचीत होगी वह ऑनलाइन या ईमेल के जरिए होगी. ऐसे में अगर ऑफिसर आपके ऊपर टैक्स लगाता है, तो आप उससे मिलकर मामला रफादफा नहीं करा पाएंगे. हालांकि अगर आप ऑफिसर की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप ऑनलाइन ही अपील कर सकते हैं.
टैक्सपेयर चार्टर- चार्टर का मतलब है कि सरकार टैक्स देने वाले लोगों को कुछ सुविधाएं देगी. पहला कोई भी इनकम टैक्स का अधिकारी बिना किसी वजह के आपको परेशान नहीं कर सकता. आपके घर या ऑफिस पर बिना किसी गड़बड़ी के अचानक रेड (छापा) नहीं पड़ेगा. आपके टैक्स में गड़बड़ी होने पर फेसलैस तरीके से काम होगा. हालांकि इसमें भी टैक्सपेयर को कुछ जिम्मेदारी दी गई हैं, जिसमें उससे ईमानदारी से लेखा-जोखा देने की अपील की गई है.
स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (SFT) का क्या है मतलब
नियम के अनुसार अब तक बैंक से किसी बड़े ट्रांजेक्शन की जानकारी ही सरकार को दी जाती थी, लेकिन अब छोटे ट्रांजेक्शन की जानकारी भी बैंक सरकार को देंगी. उदाहरण के लिए- अगर आप किसी भी संस्थान में 1 लाख से ज्यादा फीस भर रहे हैं, आपके बीमा का प्रीमियम 50 हजार से ज्यादा है, आपने 1 लाख से ज्यादा बिजली का बिल भरा है, आपके होटल का बिल 20 हजार रुपए से ज्यादा है या आप किसी इंटरनेशनल या घरेलू फ्लाइट में बिजनेस क्लास में सफर करते हैं. इसके अलावा भी कई तरह के ट्रांजेक्शन की जानकारी अब इनकम टैक्स विभाग के पास चली जाएगी. अगर इन ट्रांजेक्शन में इनकम से ज्यादा रकम हुई, तो विभाग आपकी स्क्रूटनी कर सकता है.