Data Protection Bill: केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि नया डेटा प्रोटेक्शन बिल (डेटा संरक्षण विधेयक) तैयार है और संसद के मानसून सत्र के दौरान इसे पेश किया जाएगा. संसद का मानसून सत्र प्रत्येक वर्ष जुलाई में शुरू होता है और अगस्त तक चलता है. शीर्ष अदालत सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी संबंधी चिंताओं से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी.
अटॉर्नी जनरल ने संविधान बेंच को दी जानकारी
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान बेंच को बताया कि बिल तैयार है और यह सभी चिंताओं का निपटारा करेगा. कॉन्सटीट्यूशनल बेंच में जस्टिस जोसेफ के अलावा जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेष रॉय और जस्टिस सी टी रविकुमार शामिल हैं. बेंच ने अटार्नी जनरल की दलीलों का संज्ञान लिया और निर्देश दिया कि मामले को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखा जाए, ताकि एक नई बेंच का गठन किया जा सके, क्योंकि जस्टिस जोसेफ 16 जून को रिटायर होने वाले हैं. इसके बाद मामले को अगस्त 2023 के पहले हफ्ते में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने क्या दी दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने दलील दी कि न्यायालय को अदालत की सुनवाई को विधायी प्रक्रिया से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि पिछले तीन अवसरों पर शीर्ष अदालत को हर बार बताया गया था कि डेटा संरक्षण विधेयक के पारित होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया जटिल है और इसे (बिल को) फिर से कुछ कमेटी को भेजा जा सकता है.
अटॉर्नी जनरल ने किया विरोध
दीवान की दलीलों का वेंकटरमणी ने पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि परामर्श सतत प्रक्रिया है और डेटा बिल 'बहुत ही गुणवत्तापूर्ण परामर्श प्रक्रिया' से गुजरा है. जस्टिस वेंकटरमणी ने कहा, "यह न कहें कि हम समय जाया कर रहे हैं. हम बेहतर कानून चाहते हैं."
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम अटॉर्नी जनरल की दलीलों का संज्ञान लेते हैं कि सभी चिंताओं का निवारण करने वाला विधेयक इस वर्ष जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम रजिस्ट्री से आग्रह करते हैं कि वह इस मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखे, ताकि एक बेंच का गठन किया जा सके."
दो छात्रों की ओर से दाखिल है याचिका
शीर्ष अदालत दो छात्रों कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में व्हाट्सएप और फेसबुक के बीच उसके यूजर्स के फोन कॉल, मैसेज, तस्वीर, वीडियो और डॉक्यूमेंट तक पहुंच प्रदान करने के लिए किए गए कॉन्ट्रेक्ट को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह उनकी गोपनीयता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
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