New Income Tax Slab Explain: 12 लाख तक कोई टैक्स नहीं...फिर ये 4 से 8 पर 5% और 8 से 12 पर 10% टैक्स का क्या चक्कर है?
New Income Tax Slab Explain: जब सालाना 12 लाख के आय पर कोई टैक्स नहीं है तो फिर 4 से 8 लाख पर 5 फीसदी टैक्स और 8 से 12 लाख के इनकम पर 10 फीसदी टैक्स क्यों दिखाया जा रहा है.

New Income Tax Slab Explain: बजट 2025-26 (Budget 2025) में मिडिल क्लास और सैलरीड क्लास के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बड़ी घोषणा की. उन्होंने ऐलान किया कि अब 12 लाख रुपये सालाना कमाने वालों को एक भी रुपया टैक्स देने की जरूरत नहीं है. जबकि, जो लोग नौकरी करते हैं और सैलरी पाते हैं उन्हें 12 लाख 75 हजार के सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
लेकिन, दूसरी ओर जब हम जारी हुए नए टैक्स स्लैब को देखते हैं तो उसमें लिखा है कि 4 लाख रुपये तक: 0% टैक्स, 4 लाख से 8 लाख रुपये तक: 5% टैक्स, 8 लाख से 12 लाख रुपये तक: 10% टैक्स, 12 लाख से 16 लाख रुपये तक: 15% टैक्स, 16 लाख से 20 लाख रुपये तक: 20% टैक्स, 20 लाख से 24 लाख रुपये से तक: 25% टैक्स और 24 लाख से ऊपर के सालाना आय पर 30% टैक्स.
अब सोशल मीडिया पर कई लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि जब सालाना 12 लाख के आय पर कोई टैक्स नहीं है तो फिर 4 से 8 लाख पर 5 फीसदी टैक्स और 8 से 12 लाख के इनकम पर 10 फीसदी टैक्स क्यों दिखाया जा रहा है. चलिए, आपको विस्तार से समझाते हैं कि ये माजरा क्या है और इसे आपको कैसे देखना है.
सारा खेल टैक्स रिबेट का है
दरअसल, सरकार ने इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 87A के तहत एक रिबेट का प्रावधान किया है. इसका मतलब यह है कि अगर आपकी इनकम का कुल टैक्स किसी भी स्लैब के अनुसार गणना करने पर बनता है, तो उस पर आपको कुछ रिबेट मिलेगा. उदाहरण से इसे ऐसे समझिए, अगर आपकी सालाना इनकम 4 से 8 लाख रुपये के बीच आती है, तो आपका 20,000 रुपये का टैक्स बनेगा.
वहीं, अगर आप सालान 8 से 12 लाख कमाते हैं तो आपका 40,000 रुपये का टैक्स बनेगा. इस तरह से कुल मिलाकर 60,000 रुपये का टैक्स बनता है. लेकिन धारा 87A के तहत अब टैक्स रिबेट को 12 लाख के सालाना आय पर बढ़ाकर 60 हजार कर दिया गया है. यानी अब आप सालाना चाहे 4 से 8 लाख कमाएं या 8 लाख से 12 लाख कमाएं, आपको एक भी रुपये टैक्स देने की जरूरत नहीं है.
टैक्स रिबेट होता क्या है?
टैक्स रिबेट एक जरूरी वित्तीय प्रावधान (Financial Provisions) है जो टैक्सपेयर्स को उनकी इनकम पर लगने वाले टैक्स में राहत देता है. यह प्रावधान खासतौर से उन व्यक्तियों के लिए लागू होता है जिनकी सालाना आय एक निश्चित सीमा से कम होती है. भारत में, यह प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87A के तहत आता है.
टैक्स छूट और रिबेट में अंतर होता है
टैक्स छूट: यह सीधे तौर पर आपकी आय पर लागू होती है और कुछ आय स्तरों तक आपको पूरी तरह से टैक्स से मुक्त करती है. टैक्स रिबेट: यह तब लागू होती है जब आपकी आय एक निश्चित सीमा से अधिक होती है, लेकिन आप फिर भी कुछ राशि को माफ करवा सकते हैं. जैसा कि अब 12 लाख तक की आय पर होगा.
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