दिल्ल-एनसीआर समेत इन 6 शहरों में नहीं खुल रहे नए ऑफिस, रिपोर्ट में हुआ चौंका देने वाला खुलासा
रियल एस्टेट कंसल्टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में देश के 6 बड़े शहरों में ऑफिस वर्कस्पेस की मांग में कुल मिलाकर 6 फीसदी की गिरावट आई है.
Economic Lifeline: देश के इकोनॉमिक लाइफलाइन कहे जाने वाले 6 बड़े शहरों में कुछ तो ऐसा हुआ है, जो इकोनॉमी के लिए ठीक नहीं है. इन शहरों की इकोनॉमी को यहां के शानदार वर्कस्टेशन वाले ऑफिसों से ऑक्सीजन मिलती है. लेकिन, अब नए वर्कस्टेशन मांगने वालों की संख्या में भारी कमी आई है. रियल एस्टेट कंसल्टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड की रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में इसमें कुल मिलाकर छह फीसदी की गिरावट आई है. जाहिर है कि यहां नई कंपनियों के ऑफिस या कंपनियों के नए ऑफिस थोड़े कम खुल रहे हैं.
6 बड़े शहरों में हुए कम, दो में ऑल टाइम हाई
जिन आठ शहरों के आधार पर कुशमैन एंड वेकफील्ड ने रिपोर्ट जारी किया है, उनमें छह शहरों में नए ऑफिस वर्कस्पेस की मांग में कमी आई है. ये शहर दिल्ली-एनसीआर, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद और कोलकाता हैं. वहीं मुबंई में यह काफी उछाल लिए हुए है और बेंगलुरू में भी मांग बढ़ी है. मुंबई में जहां 2023 में 20.5 लाख वर्गफीट ऑफिस स्पेस की मांग थी वहीं 2024 में यह चार गुना हो गई है. यानी 83.2 लाख वर्गफीट ऑफिस वर्कस्पेस की डील हुई.
बेंगलुरू में 2023 के 133.1 लाख वर्गफीट ऑफिस वर्कस्पेस की डील 2024 में बढ़कर 133.4 लाख वर्गफीट हो गई. वहीं दिल्ली एनसीआर में सालभर में पांच फीसदी गिरावट देखने को मिली. यह 2023 के 49.2 लाख वर्गफीट के मुकाबले 46.8 लाख वर्गफीट रह गया. इसी तरह चेन्नई में 53.3 लाख वर्गफीट के मुकाबले केवल 21.7 लाख वर्गफीट ऑफिस स्पेस की डील हुई. इस तरह यहां 59 फीसदी की गिरावट है.
पुणे में ऑफिस वर्कस्पेस की मांग में 27 फीसदी की कमी
पुणे में ऑफिस वर्कस्पेस की मांग में सालभर में 27 फीसदी की कमी आई है. यह 2023 में 57.4 लाख वर्गफीट की तुलना में 2024 में केवल 42.2 लाख वर्गफीट है. वहीं हैदराबाद में ऑफिस वर्कस्पेस की जरूरत 128.6 लाख वर्गफीट से 21 फीसदी घटकर केवल 102.1 लाख वर्गफीट रह गई है.
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