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RBI को बैंकों के एनपीए से निबटने के लिए मिले ज्यादा अधिकार
नई दिल्लीः सरकार ने फंसे कर्ज यानी एनपीए से निबटने के मामले में रिजर्व बैंक को ज्यादा अधिकार देने का ऐलान किया है. इस बारे में राष्ट्रपति के दस्तख्वत के बाद अधिसूचना जारी कर दी गई.
फंसा कर्ज या एनपीए वैसे कर्ज को कहा जाता है जिसमें 3 महीने तक एक भी पैसा नहीं चुकाया जाता है. संसद में दिए जवाब के मुताबिक, बैंकों का कुल एनपीए 31 मार्च 2015 को 3.09 लाख करोड़ रुपये था जो 31 मार्च 2016 को बढ़कर 5.66 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गया. बीते कारोबार साल के पहले नौ महीने के अंत में यानी 31 दिसम्बर 2016 को एनपीए 6.87 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गया. इस तरह कुल बकाया कर्ज का करीब साढ़े नौ फीसदी एनपीए बन चुका है. एनपीए बढ़ने का मतलब बैंकों को अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा उसके लिए प्रावधान यानी प्रोवजनिंग के तौर पर ऱखना पड़ता है. इससे एक ओर जहां बैंकों की बैलेंश शीट पर असर पड़ता है, वहीं आगे कर्ज देने की क्षमता भी प्रभावित होती है. इसी के मद्देनजर सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर रिजर्व बैंक को ज्यादा अधिकार देने का फैसला किया. इस अधिकार के तहत रिजर्व बैंक कर्ज नहीं चुकाने वाले यानी डिफॉल्टर पर दिवालिया कानून (Insolvency and Bankruptcy Code 2016) के तहत कार्रवाई करने का निर्देश बैंकों को दे सकेगा. इसका मतलब ये हुआ है कि कर्ज नहीं चुकाने वालों की संपत्ति बेचना आसानी से हो सकेगा और बैंक अपने फंसे कर्ज की भरपाई कर लेंगे. इस प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए एक ओवरसाइट कमेटी भी होगी जिसका गठन आऱबीआई ही करेगा. रिजर्व बैंक का निर्देश बैंक मानने के लिए बाध्य होंगे. एनपीए से निबटने के नयी व्यवस्था में यदि बकायेदारों की संपत्ति का निबटारा करने में किसी तरह का नुकसान यानी ‘हेयरकट’ लेना पड़े तो इस मामले में बैंक अधिकारियों को संरक्षण देने का भी इंतजाम किया जा रहा है. अभी होता ये है कि अभी अगर किसी बैंक चेयरमैन ने कम दाम पर संपत्ति का निबटारा कर दिया तो उसके खिलाफ आगे भ्रष्ट्राचर के आरोप लग सकते हैं औऱ मामला सीबीआई तक पहुंच जाता है. इसीलिए बैंक प्रबंधन ऐसा कोई कदम उठाने से हिचकिचाता है. अब भ्रष्ट्राचार रोकने के लिए बने कानून यानी पीसीआरए में बदलाव के जरिए इस हिचकिचाहट को खत्म करने की कोशिश होगी. नए अध्यादेश को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, “मौजूदा स्थिति जारी नहीं रह सकती और मौजूदा स्थिति ये थी कि ज्यादा कुछ नहीं हो रहा था.” उन्होंने ये भी कहा कि फंसे कर्ज के बारे में तैयार लिस्ट रिजर्व बैंक के पास है और वो इस मामले में जरुरी कदम उठाने पर काम कर रहा है.
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