बजट में पीएफ में ढाई लाख रुपये से अधिक जमा करने पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाने का ऐलान कर सरकार ने उन कर्मचारियों को झटका दिया था जो ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें ज्यादा कंट्रीब्यूट कर रहे थे. सरकार के इस ऐलान पर जब काफी चिंता जताई गई तो तीन दिन पहले इसमें संशोधन का ऐलान किया. अब टैक्सरहित कंट्रीब्यूशन की सीमा ढाई लाख रुपये से बढ़ा कर पांच लाख कर दी गई है. लेकिन प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों का इसका कोई फायदा नहीं होगा. उनके लिए यह लिमिट नहीं बढ़ाई गई है.


यह लिमिट सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए बढ़ाई गई है और उन्हीं को इसका कोई फायदा भी होगा. सरकार ने जो संशोधन किया है, उसके मुताबिक अतिरिक्त ढाई लाख रुपये के कंट्रीब्यूशन पर ब्याज उस फंड के लिए लागू होगा, जहां नियोक्ता अपनी ओर से इसमें अंशदान नहीं कर रहा है. इसलिए यह नियम सिर्फ जीपीएफ पर लागू होगा, जिसमें सिर्फ सरकारी कर्मचारी ही कंट्रीब्यूट कर सकते हैं.


प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए कोई फायदा नहीं


यह संशोधन सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को फायदा नहीं. प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए इसमें कोई फायदा नहीं है. प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी अगर ढाई लाख रुपये से अधिक का अंशदान ईपीएफ में करते हैं तो इस पर टैक्स लगेगा. मान लीजिये प्राइवेट सेक्टर का कोई कर्मचारी वीपीएफ में सालाना 12 लाख रुपये जमा करात है तो 12 लाख में से ढाई लाख रुपये घटा कर 9.50 लाख रुपये पर टैक्स देय होगा. 9.50 लाख पर इंटरेस्ट इनकम 8.5 फीसदी के हिसाब से 80,750 रुपये बैठता है. इसलिए अगर इस पर 30 फीसदी के हिसाब से मार्जिनल टैक्स रेट लगता है तो यह 25,000 रुपये बैठेगा.


आपको क्या करना चाहिए?


अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं और सालाना वीपीएफ में ढाई लाख रुपये से ज्यादा जमा करते हैं तो आपको अब दूसरे विकल्प की तलाश करनी चाहिए. आप म्यूचुअल फंड की डेट या इक्विटी स्कीमों में निवेश कर सकते हैं. अगर आप डेट या इक्विटी फंड में निवेश करने में सुविधा महसूस नहीं करते तो अभी भी मार्जिनल टैक्स की देनदारी वाली पीएफ स्कीम  योगदान जारी रख सकते हैं.


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