New Vs Old Income Tax Regime: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश करते हुए नए इनकम टैक्स रिजीम (New Income Tax Regime) में इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में बदलाव कर टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को राहत दी है. इतना ही नहीं, नए इनकम टैक्स रिजीम अपनाने वाले सैलरीड क्लास ( Salaried Class) लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) की लिमिट को भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया है. वित्त मंत्री के मुताबिक इससे टैक्सपेयर्स को नए इनकम टैक्स रिजीम में 17,500 रुपये का फायदा होगा. लेकिन उन टैक्सपेयर्स को कोई राहत नहीं दी गई है जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) को अपनाया हुआ है. ओल्ड टैक्स रिजीम के टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है और ना उनके लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन में ही कोई बढ़ोतरी की गई है. 


किस टैक्स रिजीन को चुनें टैक्सपेयर्स!


ऐसे में टैक्सपेयर्स के सामने उहापोह की स्थिति है. टैक्सपेयर्स के लिए नया इनकम टैक्स रिजीम बेहतर रहेगा फिर ओल्ड टैक्स रिजीम. उदाहरण के लिए हम ऐसे सैलरीड टैक्सपेयर्स की बात करते हैं जिनकी सालाना इनकम 10 लाख रुपये है. ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए नया इनकम टैक्स रिजीम बेहतर रहेगा या पुराना. 


ओल्ड रिजीम में कितना देना होगा टैक्स? 


अगर किसी टैक्सपेयर्स की सालाना आय 10 लाख रुपये है तो पुराने इनकम टैक्स रिजीम के तहत उसे 50,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. जिसके बाद उसकी टैक्सेबल इनकम घटकर 9,50,000 रुपये रह जाती है. अगर टैक्सपेयर्स ने होमलोन ले रखा है और कर्ज पर ब्याज का भुगतान कर रहा है तो 2 लाख रुपये तक ब्याज के भुगतान पर आय से कटौती की सुविधा का लाभ ले सकता है. ऐसे में टैक्सपेयर्स की टैक्सैबल इनकम घटकर 7,50,000 रुपये रह जाती है. और बच्चों के स्कूल की ट्यूशन फीस से लेकर, बीमा पॉलिसी पर प्रीमियम का भुगतान और ईपीएफ में योगदान को मिलाकर कुल 1.50 लाख रुपये तक इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत निवेश बचत पर डिडक्शन हासिल किया जा सकता है. इसके बाद टैक्सबेल इनकम घटकर 6 लाख रुपये रह जाता है. और अगर कोई मेडिक्लेम पॉलिसी टैक्सपेयर ने ले रखा है तो सालाना 25,000 रुपये प्रीमियम के भुगतान पर इनकम से डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.  ऐसे में टैक्सपेयर्स का कुल टैक्सेबल इनकम घटकर 5.75 लाख रुपये रह जाएगा. ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्सपेयर्स पर 27500 रुपये का टैक्स बनेगा और इसमें 4 फीसदी सेस को जोड़ दें तो कुल टैक्स देनदारी 28,600 रुपये होगी.


नए रिजीम के नए टैक्स स्लैब में कितना बनेगा टैक्स?  


नए इनकम टैक्स रिजीम के तहत टैक्सपेयर्स पर बनने वाले टैक्स देनदारी को कैलकुलेट करें तो मान लिजिए टैक्सपेयर की ग्रॉस सैलेरी 10 लाख रुपये है. जिसमें 75,000 रुपये अब स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. जिसके बाद टैक्सेबल सैलेरी घटकर 9,25,000 रुपये रह जाएगी. नए टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में जो बदलाव किया गया है उसके बाद 3 लाख रुपये तक के आय पर टैक्सपेयर्स को टैक्स छूट मिलेगा. लेकिन 3 से 7 लाख रुपये के इनकम पर 5 फीसदी के दर से टैक्स देना होगा जो कि 20,000 रुपये बनता है. इसके बाद 7 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के इनकम स्लैब पर 10 फीसदी टैक्स रेट के हिसाब से 30,000 रुपये टैक्स बनेगा. यानि नए इनकम टैक्स रिजीम अपनाने वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स जिनकी सालाना इनकम 10 लाख रुपये है उन्हें 50,000 रुपये टैक्स देना होगा. और इसमें 4 फीसदी के दर से सेस जोड़ लें तो 52,000 रुपये कुल टैक्स चुकाना होगा. 


नए रिजीम के पुराने टैक्स स्लैब पर टैक्स का भार 


अगर नए इनकम टैक्स रिजीम के पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से देखें तो टैक्सपेयर को 60,000 रुपये टैक्स का भुगतान करना होगा जो 4 फीसदी सेस जोड़कर 62,400 रुपये देना पड़ता. यानि नए इनकम टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में बदलाव के बाद टैक्सपेयर्स को 10,400 रुपये की टैक्स बचत होगी. जबकि नए इनकम टैक्स रिजीम के मुकाबले ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स को 24,600 रुपये की टैक्स होगी. 


ओल्ड टैक्स रिजीम के भविष्य पर संशय 


इससे स्पष्ट है कि वैसे टैक्सपेयर्स जिन्होंने होम लोन ले रखा है या टैक्स बचाने के बचत करते हैं उनके लिए अभी भी ओल्ड टैक्स रिजीम फायदेमंद है. पर बड़ा सवाल उठता है कि आखिरकार जिस प्रकार सरकार नए टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने में जुटी है और ओल्ड टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है और वित्त मंत्री ने जिस प्रकार अगले छह महीने में इनकम टैक्स कानून की समीक्षा करने की बात की है उसके बाद ओल्ड टैक्स रिजीम के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.  


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