जानिए उस भारतीय के बारे में जो दुबई में क्लर्क से बना अरबपति
भारतीय मूल के नीलेश कारानी दुबई में अपनी अलग पहचान बनाई. कुछ अलग करने की चाह ने उन्हें अरबपति बना दिया.
दुबई: विदेश में अपनी मेहनत, कौशल और प्रतिभा की बदौलत शोहरत और दौलत कमानेवाले भारतीयों की कमी नहीं है. उन्हीं लोगों में से एक हैं नीलेश कारानी. जिन्होंने दुबई में कुछ ऐसा किया कि उनकी संपत्ति अरबों में हो गई. नीलेश एक साल के थे जब उनके माता पिता उनको लेकर 1967 में दुबई आ गये. दुबई के मीना बाजार में उनके पिता का एक छोटा सा पेन स्टोर था. जिससे घर का खर्चा चल रहा था.
‘रचनात्मक बनने’ की जिद ने दिलाई सफलता
18 साल की उम्र में नीलेश के पिता ने उनका दाखिला कंप्यूटर क्लास में करा दिया. कंप्यूटर कोर्स करने के दौरान उन्होंने कंप्यूटर और इंटरनेट पर काफी किताबें पढ़ीं. क्लास में जो कुछ भी पढ़ाया जाता नीलेश उसे काफी गंभीरता से लेते. 23 साल की उम्र में उन्होंने 1987 में बैंक क्लर्क की नौकरी शुरू कर दी.
बतौर क्लर्क शुरू की थी नौकरी
HSBC बैंक में बतौर क्लर्क उनकी महीने की तनख्वाह 700 दिरहम थी. नीलेश कहते हैं, “ मेरी जिंदगी में कुछ अलग करने की जिद थी. जहां मैं अपने भाग्य का खुद मालिक बनूं. मैं खुद का व्यवसाय कर दूसरों को ट्रेनिंग दूं.”
इसलिए मैंने नौकरी छोड़ दी. और 2011 में दो दशक की बचत को अपने पिता के व्यवसाय में निवेश कर दिया. वहां मैंने ई कॉमर्स की शुरुआत की. अपने ऑनलाइन व्यवसाय का नाम kingstraders.com और penscorner.com रखा. 2017 में मैंने 3DM लाइफस्टाइल के साथ करार किया. मैंने भारतीय ऑनलाइन कंपनी को अपने जूतों का संग्रह दुबई लाने को कहा. और इस तरह ‘किंग्स शूज’ नाम से नये व्यवसाय की शुरुआत हुई.
जूतों के व्यवसाय ने बनाया अरबपति
व्यवसाय में नयापन लाने के लिए हमने लोगों की पसंद के मुताबिक जूते बेचना शुरू किया. ऑनलाइन मैंने लोगों को अपने जूतों के डिजाइन, पैरों के साइज बताने का विकल्प रखा. साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया कि लोग किस तरह के जूते पहनना पसंद करेंग. दो साल में कंपनी चल पड़ी. हमारे ग्राहक बढ़ने लगे.
नीलेश कहते हैं," आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर करीब 5 मिलियन दिरहम है. उनकी सफलता का मंत्र है,”रचनात्मक बनना.” नीलेश अपनी कामयाबी का क्रेडिट अपनी पत्नी को देते हैं.