भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) का नाम कौन नहीं जानता... नीरव मोदी की गिनती कभी भारत के सबसे अमीर कारोबारियों में होती थी और बॉलीवुड के तमाम नामी एक्टर्स उसके ज्वेलरी ब्रांड के साथ जुड़े हुए थे. हालांकि अब उसकी हालत कुछ खास ठीक नहीं है. एक तरफ उसे जेल में जीवन बिताना पड़ रहा है, दूसरी ओर उसके बैंक खाते खाली होते जा रहे हैं.
यहां ट्रांसफर हुए करोड़ों रुपये
खबरों के अनुसार, जो नीरव मोदी कभी अरबों की दौलत का मालिक था, अब उसके बैंक खाते में महज 236 रुपये बचे हैं. खबरों के अनुसार, यह रकम नीरव मोदी की एक कंपनी फायरस्टार डायमंड इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (Firestar Diamond International Pvt Ltd) के बैंक खाते में है. यह रकम कोटक महिंद्रा बैंक के द्वारा इनकम टैक्स बकाये को लेकर एसबीआई के बैंक खते में 2.46 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के बाद बची है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने कुल बकाये का महज एक हिस्सा ही ट्रांसफर किया है.
कोर्ट ने दिया था ये आदेश
नीरव मोदी के द्वारा की गई धोखाधड़ी के मामले में कोर्ट ने भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत फायरस्टार डायमंड इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के लिए लिक्विडेटर को नियुक्त किया है. पंजाब नेशनल बैंक ने कंपनी के बैंक खाते में पड़ी रकम को ट्रांसफर करने का रिक्वेस्ट लिक्विडेटर के माध्यम से किया था. कोर्ट ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा था. हालांकि दोनों बैंकों ने कोर्ट के ऑर्डर का पालन नहीं किया था.
उधार पर चल रहा है काम
वहीं कुछ अन्य खबरों में हाल ही में बताया गया था कि नीरव मोदी उधारी लेने पर मजबूर है. कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान नीरव मोदी से पूछा गया था कि वह अदालती कार्यवाही के खर्चे कैसे जुटाएगा, जिसके जवाब में उसने कहा था कि वह लोगों से उधार लेकर काम चला रहा है, क्योंकि प्रत्यर्पण की प्रक्रियाओं के तहत उसकी संपत्तियां सीज हो गई हैं. इस कारण उसके पास सीमित संसाधन बचे हैं.
नीरव मोदी पर ये तीन मामले
नीरव मोदी भारत में तीन आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है. पहला मामला पंजाब नेशन बैंक के साथ धोखाधड़ी से जुड़ा है. इसमें सरकारी बैंक को हजारों करोड़ रुपये की चपत लगी थी. दूसरा मामला पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी कर हासिल रकम की मनी लॉन्ड्रिंग का है. एक अन्य तीसरा मामला सीबीआई की कार्यवाही से संबंधित सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और गवाहों को प्रभावित करने का है.
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