वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा-कोविड से निपटने के लिए देश बेहतर स्थिति में, 'दुनिया की फार्मेसी' है भारत
Nirmala Sitharaman Said About Covid Fear: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर कोविड के मामलों में इजाफा होता है तो देश उससे निपटने के लिए दुनिया के अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है.
Finance Minister Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर कल बात की और भरोसा जताया कि अगर कोविड के मामले बढ़ते हैं तो देश इससे निपटने में सक्षम है. निर्मला सीतारमण ने चेन्नई में 'तमिलनाडु डॉ. एमजीआर चिकित्सा विश्वविद्यालय' के 35वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए ये कहा कि देश कोविड के मामलों में बढ़ोतरी होने की सूरत में इससे निपटने के लिए ''बेहतर स्थिति'' में है. वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा कि भारत को 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में मान्यता प्राप्त है क्योंकि देश सस्ती कीमत पर वैश्विक स्तर की दवा का उत्पादन करता है.
भारत दुनियाभर की जेनरिक दवाओं की मांग को पूरा करने में अग्रणी - वित्त मंत्री
इस मौके पर उन्होंने कहा कि कि भारत दुनियाभर की जेनरिक दवाओं की मांग को पूरा करने में अग्रणी स्थान रखता है. अफ्रीका में जेनेरिक दवाओं की कुल मांग का लगभग 50 फीसदी, अमेरिका की जेनेरिक दवाओं का 40 फीसदी और ब्रिटेन की सभी दवाओं में से 25 फीसदी की सप्लाई करता है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारत आवश्यक टीकाकरण योजनाओं के लिए लगभग 60 फीसदी वैश्विक टीकों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरूरी टीकाकरण योजनाओं के लिए 70 फीसदी टीकों का उत्पादन करता है.
वित्त मंत्री ने तमिल भाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराने की वकालत की
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि तमिलनाडु में चिकित्सा शिक्षा तमिल भाषा में पढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि इसे (चिकित्सा शिक्षा को)निश्चित रूप से मजबूत करने की जरूरत है. निर्मला सीतारमण ने 'तमिलनाडु डॉ. एमजीआर चिकित्सा विश्वविद्यालय' के 35वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ''मैं यहां तमिलनाडु में स्वास्थ्य मंत्री के सामने यह बात कह रही हूं. निश्चित रूप से चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता है और मुझे लगता है कि अगर चिकित्सा शिक्षा को तमिल में पढ़ाया जाए तो इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.''
अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं- वित्त मंत्री ने किया साफ
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर मेडिकल और अन्य संबंधित विषयों को तमिल में पढ़ाया जाए, तो छात्रों के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे. हालांकि, वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं हैं.
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