नीति आयोग ने देश के फार्मा सेक्टर के लिए अलग से मंत्रालय बनाने की वकालत की है. नीति आयोग का कहना है कि देश में दवा उद्योग के लिए अलग से स्वतंत्र मंत्रालय का गठन करना चाहिए. साथ ही रेगुलेटरी सिस्टम की खामियों को दूर करना चाहिए ताकि देश के फार्मा इंडस्ट्री को ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में आसानी हो सके.


'बेहतर नियमन और इन्फ्रास्ट्रक्चर से इंडस्ट्री बन सकेगी मजबूत ग्लोबल प्रतिस्पर्द्धी'


नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने सोमवार को ग्लोबल बायोइंडिया समिट में कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया नए वायरसों से जूझ रही है तो वायरोलोजी में रिसर्च के लिए नए संस्थान खुलने चाहिए और इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना चाहिए. साथ ही एक ऐसे रेगुलेटरी सिस्टम की जरूरत है जो देश में फार्मा इंडस्ट्री और संबंधित स्टेकहोल्डर के बीच संतुलन बिठा सके. भारत में फार्मा सेक्टर के लिए अनुकूल निवेश माहौल और जमीन अधिग्रहण का एक इनोवेटिव तरीका बनाया जाना चाहिए.


'भारत को एपीआई के उत्पादन पर देना चाहिए पूरा जोर'


सारस्वत ने कहा कि भारत को एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इनग्रिडिएंट यानी API के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना होगा. भारत को अगर फार्मा सेक्टर में अपनी मजबूती बढ़ानी है और ग्लोबल फार्मा इंडस्ट्री में एक मजबूत प्रतिस्पर्द्धी के तौर पर उभरना है तो इसके लिए अलग से फार्मा मंत्रालय का गठन करना होगा. उन्होंने कहा कि भारत को घरेलू एपीआई इंडस्ट्री पर जोर देना होगा ताकि दवाई निर्माण की लागत कम की जा सके. इस मामले में हमें चीन पर निर्भरता कम करनी होगी. उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा इंडस्ट्री ने कोरोना के टीके के मामले में अपनी मजबूत क्षमता का प्रदर्शन किया है. इसलिए देश में फार्मा सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए इसकी क्षमताओं को और मजबूत करना होगा. भारत की फार्मा इंडस्ट्री को सरकार के समर्थन की जरूरत है.


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