NITI Aayog Report: चीन हो रहा है बूढ़ा, यंग भारत के पास आ रही हैं ट्रेड अपॉर्च्युनिटीज
NITI Aayog Report: नीति आयोग ने अपनी पहली 'ट्रेड वॉच क्वॉर्टरली' रिपोर्ट पेश की है. ये रिपोर्ट भारतीय ट्रेड की दशा और दिशा तय कर सकती है.
NITI Aayog Report: आज नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी और सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने भारतीय ट्रेड पर आधारित नीति आयोग की पहली त्रैमासिक रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट पेश करते समय नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने कहा कि इस रिपोर्ट के लिए भारत के ट्रेड का विश्व के ट्रेड के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया गया है और डेटा पेश किया गया है. डिमांड सप्लाई की ताजा स्थिति बताई गई है. किस सेक्टर में और किन प्रॉडक्ट्स में अपॉर्च्युनिटीज हैं या आने वाली हैं इसका ब्योरा दिया गया है.
नीति आयोग की इस रिपोर्ट से ट्रेडिंग पार्टनर्स को मिलेगी भविष्य की अपॉर्च्युनिटीज की सही जानकारी
नीति आयोग के सीईओ ने रिपोर्ट के अध्ययन पैटर्न का खुलासा करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में इस बात की स्टडी की गई है कि मर्चेंटाइज़ और सर्विसेज़ के क्षेत्र में अलग-अलग हम कैसा कर रहे हैं. ट्रेड का कंपोजिशन, पैटर्न , ट्रेडिंग पार्टनर, जियोपॉलिटिकल कॉन्फ्लिक्ट्स और अनिश्चितता के बारे में भी इस रिपोर्ट में बात की गई है. इस रिपोर्ट का उद्देश्य पॉलिसी मेकर्स, रिसर्चर्स को सही तथ्य उपलब्ध कराना है. इसमें ट्रेड के इश्यूज, चैलेंजेज और अपॉर्च्युनिटीज पर बात की गई है.
भारत सर्विस सेक्टर में आगे, मर्चेंडाइज ट्रेड में पीछे
नीति आयोग के सलाहकार और प्रोग्राम डाइरेक्टर प्रवाकर साहू ने रिपोर्ट का मर्म बताते हुए कहा कि मर्चेंडाइज ट्रेड में हम अभी पीछे हैं जबकि सर्विसेज़ सेक्टर में हम सरप्लस में हैं. सर्विसेज़ में भी हम सिर्फ आईटी और बिज़नेस सर्विसेज पर ही निर्भर हैं जैसे कि ट्रैवल, ट्रांसपोर्टेशन, इन्श्योरेंस सर्विसेज़ का शेयर वर्ल्ड ट्रेड में 50 फीसदी है जबकि हमारा 3 फीसदी से भी कम है.
ट्रेड वर्ल्ड क्वार्टरली ने बताया कि भारत के एक्सपोर्ट और वर्ल्ड डिमांड के बीच में है एक ग्लिच
इसी तरह वर्ल्ड डिमांड और इंडिया के एक्सपोर्ट को देंखें तो काफी मिस्मैच है. मसलन जहां वैश्विक डिमांड काफी ज़्यादा है वहाँ भारत से सप्लाई कम है और जहां वैश्विक डिमांड कम है वहां भारत की सप्लाई ज़्यादा है. ऐसे में हमें ट्रेड में चेंज की, रिओरिएंटेशन की ज़रूरत है ताकि हमारा ट्रेड डेफिसिट कम होता जाए. इस ट्रेड रिपोर्ट के माध्यम से हम बताना चाहते हैं कि कहां पर ऑपोर्च्यूनीज भारत के लिए बन रही हैं.
कुल वैश्विक एक्सपोर्ट बनाम भारतीय एक्सपोर्ट
भारत के कुल एक्सपोर्ट में अनाज का एक्सपोर्ट केवल 0.7 फीसदी है जबकि वैश्विक ट्रेड में अनाज का एक्सपोर्ट 7 फीसदी है. इसी तरह इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट हमारे टोटल एक्सपोर्ट का 15 फीसदी है जबकि विश्व में हमारा शेयर सिर्फ 1 फीसदी शेयर है. जबकि चाइना का 26 फीसदी है.
चीन के नीचे जाते ट्रेड का फायदा उठा सकता है भारत
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार चीन में कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन बढ़ रहा है. अमेरिका ने चाइना से इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ा दिया है. इसके अलावा चीन एक ऐजिंग कंट्री हो चुकी है. वहां के नागरिकों की एवरेज एज 37 साल है जबकि भारत की 27 है. इन सबका फायदा भारत को उठाना चाहिए. चीन की ऑपोर्च्यूनिटीज़ और एडवांटेज खत्म हो रही हैं. चाइना में एजिंग के कारण वेज रेट बढ़ रहे हैं, पर कैपिटा इनकम बढ़ गई है. इन्पुट्स और इंटिमिडिएट प्रॉडक्ट्स का भी कॉस्ट बढ़ गया है. चाइना और अमेरिका का टैरिफ वॉर भी बहुत अनिश्चितता पैदा कर रहा है इसलिए चाइना में इन्वेस्टमेंट के लिए अब नए प्लेयर मुश्किल से ही आएंगे.
विदेशी इन्वेस्टमेंट के लिए भारत के पक्ष में हैं ये 4 मुख्य बातें - मार्केट, मैन पॉवर, स्थिर नीतियां और ट्रम्प
लेबर इंटेंसिव सेक्टर पहले चाइना में था पर अब शिफ्ट कर रहा है वियतनाम मैक्सिको और अन्य देशों को. भारत को इसमें भी अवसर तलाशना चाहिए क्योंकि हमारे पास वर्क फोर्स है. भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर नार्थ अमेरिका है और उसके बाद यूरोपियन कंट्रीज हैं जबकि एशियन कंट्रीज के साथ भी हमारा ट्रेड बढ़ रहा है. ट्रंप के आने से भारत की स्थिति बेहतर हुई है क्योंकि चाइना की अनिश्चितता बढ़ी है जिससे मल्टीनेशनल कंपनियां भारत आने के लिए मजबूर हो जाएँगी क्योंकि इंडिया में बड़ा मार्केट है , मैन पॉवर है और भारत की नीतियां भी स्थिर हैं.
जीडीपी का बेस ईयर बदलने के पक्ष में है नीति आयोग
नीति आयोग के सलाहकार प्रवाकर साहू ने एबीपी न्यूज़ के एक सवाल के जवाब में कहा कि बेस ईयर चेंज होना चाहिए क्योंकि इससे बहुत सारे सेक्टर एकाउंटिंग कंसीड्रेशन में शामिल हो पाते हैं जो पहले नहीं थे जैसे आईटी और डिजिटल सेक्टर पहले एकाउंटिंग सिस्टम में नहीं थे. समय के साथ प्राइसेस भी चेंज होते हैं डिफरेंट सेक्टर और कॉम्पोनेंट्स के. गाँव में कोई कुछ बना रहा है जिससे आउटपुट वैल्यू एडिशन होता है पर वो भी एकाउंटिंग फ्रेम वर्क में नहीं आ पाता. बेस चेंज होने से रियल डेटा मिलता है.
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