पिछले एक-दो सालों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहन खूब लोकप्रिय हुए हैं. इलेक्ट्रिक कारें और इलेक्ट्रिक स्कूटरों की बिक्री देश में रफ्तार पकड़ चुकी है. ये डीजल व पेट्रोल पर चलने वाले वाहनों की तुलना में पर्यावरण के लिए ज्यादा अनुकूल तो हैं ही, साथ ही पॉकेट के हिसाब से भी बेहतर साबित होती हैं. हालांकि रोज विकसित हो रही नई-नई टेक्नोलॉजी के बीच ऐसी सड़क बनाने का प्रयास चल रहा है, जो इन वाहनों की जरूरत समाप्त कर देंगी.


हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रिक रोड व इलेक्ट्रिक हाइवे की, जिसका जिक्र केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कई बार कर चुके हैं. आज बुधवार को उन्होंने एक कार्यक्रम में फिर से इसका जिक्र किया और कहा कि देश में ऐसी सड़कें बनाने के लिए उन्होंने कुछ कंपनियों से बातचीत भी की है.


टिकाऊ विकास ही अंतिम लक्ष्य


गडकरी भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने इस दौरान कहा कि आर्थिक रूप से व्यवहार्य इलेक्ट्रिक राजमार्ग के विकास के लिए वह कई कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि टिकाऊ विकास ही अंतिम लक्ष्य है और इसके लिए परिवहन के क्षेत्र में कम लागत वाली, प्रदूषण-मुक्त व स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास की जरूरत है. उन्होंने टिकाऊ कारोबारी मॉडल बनाने के लिए बड़ी कंपनियों से आगे आने का आह्वान किया.


गडकरी ने शुरू कर दी है बात


केंद्रीय मंत्री ने बताया, कल ही मैंने आर्थिक रूप से व्यवहार्य इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाने के बारे में टाटा और कुछ अन्य कंपनियों के साथ चर्चा की. जिस तरह से हमारे शहरों का विकास हो रहा है, उसमें हमें आखिरकार अपने शहरी कानूनों में संशोधन करने की जरूरत पड़ेगी. बेंगलुरु जैसे शहर में लोगों को दफ्तर पहुंचने में दो घंटे लग जाते हैं.


इस देश ने तो शुरू कर दिया काम


गडकरी ने कुछ समय पहले इलेक्ट्रिक राजमार्गों के विकास की संकल्पना पेश की थी. ऐसी सड़कों पर कुछ अन्य देश भी काम कर रहे हैं. कुछ देशों में तो ऐसी सड़कें बनाई भी जा चुकी हैं. स्वीडन के स्टॉकहोम में कुछ ही साल पहले इलेक्ट्रिक रोड का निर्माण हुआ है. पहले इसे प्रायोगिक तौर पर कुछ किलोमीटर के लिए सड़क के बाहरी इलाके में तैयार किया गया. अब स्वीडन करीब 3000 किलोमीटर लंबा ऐसा हाइवे बनाने की तैयारी में है.


कैसी होती हैं इलेक्ट्रिक सड़कें


इलेक्ट्रिक सड़कों की बात करें तो यह कोई एलियन कांसेप्ट नहीं है. दुनिया ट्राम के रूप में इसका प्रयोग देख चुकी है. अब उसे ऐसा रूप देने का प्रयास चल रहा है, जो शहरी परिवहन के भी अनुकूल हो और लंबी दूरी की यात्रा भी सहजता से करा सके. इसके साथ-साथ आर्थिक और पर्यावरणीय लिहाज से अनुकूल होना भी जरूरी शर्त है. इसके लिए कई कंपनियों ने अपनी संकल्पनाएं पेश की हैं. कुछ के मॉडल ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर पर बेस्ड हैं. इसे उदाहरण से समझने के लिए आप ट्रेन या मेट्रो को देख सकते हैं. वहीं एक कांसेप्ट यह भी है कि गाड़ियों के इंजन तक बिजली को टायरों के माध्यम से पहुंचाया जाए.


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