नई दिल्लीः सरकार ने आज दावा किया कि सूचना तकनीक यानी आईटी के क्षेत्र में 3 सालों के दौरान 6 लाख नई नौकरियां बनी. साथ ही वो ये भी कह रही है कि बड़े पैमाने पर छंटनी की बात पूरी तरह से निराधार है.
हाल के दिनों में बड़ी आईटी कंपनियों में हजारो-हजार नौकरियों की छंटनी की खबर आयी थी. सरकार का कहना है कि प्रदर्शन के आधार पर कुछ लोगों को निकाला जाता है और ये कोई नयी बात नहीं. लेकिन सिर्फ इस आधार पर ये कहना कि आईटी में रोजगार के मौके खत्म हो रहे है, सही नहीं होगा. सरकार ने ये दावा आईटी कंपनियों की संस्था नैस्कॉम के हवाले से किया है.
मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर आईटी और इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय के कामकाज का ब्यौरा देने आए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज की तारीख में आईटी इंडस्ट्री में करीब 39 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. अनुमान है कि 2025 तक 25 से 30 लाख नई नौकरियों के मौके बनेंगे. प्रसाद ने नौकरी के बाजार पर नजर रखऩे वाली एजेंसी टीमलीज के हवाले से जानकारी दी कि अक्टूबर से मार्च के बीच नौकरी देने के मामले में 4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी. ये संख्या ई कॉमर्स के कारोबार में 2 फीसदी और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के मामले में 14.94 फीसदी रही.
इस मौके पर डिजिटल इंडिया का ब्यौरा देते हुए प्रसाद ने बताया
- कॉमन सर्विस सेंटर यानी सीएससी ने ग्रामीण स्तर पर उद्यमिता के जरिए 10 लाख लोगों को रोजगार दिया है.
- आईटी और आईटीईएस (Information Technology and Information Technology Enabled Services) के तहत प्रत्यक्ष तौर पर करीब 40 लाख औऱ अप्रत्यक्ष तौर पर 1.3 करोड़ लोगो को रोजगार मिला हुआ है. इसमें से आधे से ज्यादा रोजगार सॉफ्टवेयर टेक्नॉलॉजी पार्क यानी एसटीपीआई के जरिए मिले.
- इंडिया बीपीओ कार्यक्रम के जरिए छोटे शहरों में 1.45 लाख लोगो को रोजगार देने का लक्ष्य है. 2017-18 के दौरान करीब 48 हजार नए मौके बनेंगे. इसके लिए इंफाल, गुवाहाटी, सिलिगुड़ी, पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गाजीपुर, उन्नॉव और अमरावती में बीपीओ शुरु करने को मंजूरी दी जा चुकी है.
- बीते 30 महीनों में 72 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट ने काम करना शुरु कर दिया है. इसके जरिए 1 लाख लोगों को सीधे तौर पर और 3 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला हुआ है.
- अब बैंगलूरू में एप्पल के फोन बनने शुरु हो गए हैं जिसका आगे चलकर विस्तार होगा.
- अगले 5-7 वर्षों में डिजिटल इंडिया का आकार 1 खऱब डॉलर यानी करीब 600 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा.
आधार
प्रसाद ने भरोसा दिलाया कि आधार में निजता को लेकर सवाल उठाने की जरुरत नहीं है. आधार के तहत दिए गए सभी आंकड़े और जानकारियां पूरी तरह से सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि 2012-14 में आधार की संख्या 61 करोड़ थी जो अब बढ़कर 114 करोड़ हो गयी है. अभ तक 45.82 करोड़ बैंक खातों को आधार से जोड़ा जा चुका है जिससे लाभार्थियों के खाते में सीधे-सीधे सरकारी योजनाओं को पैसा पहुंच रहा है. अभी तक इससे करीब 50 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है और उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में ये रकम 1 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी.