बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों को टैक्स डिपार्टमेंट ने अच्छी खबर सुनाई है. सीबीआईसी ने साफ किया है कि अगर किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की भारतीय सब्सिडियरी अपने कर्मचारी को ईसॉप के फायदे देती है, तो उस फायदे पर जीएसटी भरने की जरूरत नहीं होगी.


जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद आया सर्कुलर


केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी काउंसिल की हालिया बैठक के बाद एक सर्कुलर जारी कर ईसॉप पर जीएसटी को लेकर स्थिति को साफ किया है. जीएसटी के मामले में निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई जीएसटी काउंसिल की बैठक 22 जून को हुई थी, जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए थे. उसके बाद से सीबीआईसी के द्वारा 16 सर्कुलर जारी किए गए हैं.


सीबीआईसी ने सर्कुलर में कही ये बात


सीबीआईसी ने सर्कुलर में साफ किया है- अगर कोई विदेशी कंपनी अपनी भारतीय सब्सिडियरी में काम करने वाले कर्मचारियों को प्रीवेलिंग मार्केट वैल्यू पर ईसॉप देती है तो ऐसे मामलों में जीएसटी नहीं लगेगा. हालांकि अगर विदेशी होल्डिंग कंपनी अपनी भारतीय सब्सिडियरी से सिक्योरिटीज या शेयरों की लागत से ऊपर चार्ज वसूल करती है तो ऐसे मामलों में एम्पलॉई स्टॉक ऑप्शन, एम्पलॉई स्टॉक पर्चेज प्लान या रेस्ट्रिक्टेड स्टॉक यूनिट आदि पर जीएसटी भरना होगा.


ऐसे भारतीय कर्मचारियों को होगा फायदा


सीबीआईसी का यह स्पष्टीकरण कई एमएनसी के मामले में कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित होगा. दरअसल देश में काम कर रही कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को कंपनसेशन पैकेज के तहत विदेशी होल्डिंग कंपनी के शेयर या सिक्योरिटीज को अलॉट करती हैं. ऐसे मामलों में जब होल्डिंग कंपनी सीधे तौर पर कर्मचारियों को शेयर या सिक्योरिटी अलॉट करती है तो सब्सिडियरी कंपनी उसके बदले में अपनी होल्डिंग कंपनी को भुगतान करती है.


जीएसटी को लेकर साफ हुई स्थिति


अब जब भी इस तरह का मामला होगा तो जीएसटी को लेकर स्थिति साफ रहेगी. अगर भारतीय सब्सिडियरी अपनी होल्डिंग कंपनी को उसी रेट से रिम्बर्स करती है, जो बाजार में चल रहा है तो जीएसटी नहीं लगेगा. अगर रिम्बर्समेंट प्रीवेलिंग मार्केट रेट से ऊपर हुआ, तब जीएसटी का भुगतान करना पड़ जाएगा.


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