नई दिल्लीः वित्त सचिव हसमुख अढिया ने आज कहा है कि सरकार के पास पेट्रोल-डीजल के ऊपर एक्साइज ड्यूटी में बदलाव करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के बढ़ते दामों के मद्देनजर कहा जा रहा था कि सरकार पेट्रोल-डीजल के ऊपर एक्साइज ड्यूटी कम कर सकती है जिससे लोगों को लगातार बढ़ते तेल के दामों से छुटकारा मिल सके. लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है वो इनके ऊपर ड्यूटी में कोई बदलाव करने नहीं जा रही है.
दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73.73 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई, जो इसका चार साल का उच्चस्तर है. वहीं डीजल 64.58 रुपये प्रति लीटर हो गया है, जो इसका आज तक का सबसे ऊंचा स्तर है. ऐसे में सरकार पर एक बार फिर उत्पाद शुल्क कटौती के लिए दबाव बढ़ने लगा है.
पेट्रोल-डीजल में रोजाना 5-5, 10-10 पैसे बढ़कर 10 महीने में डीजल 9 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल 7 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है. बता दें कि कल यानी एक अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73.73 रुपए और डीजल की कीमत 64.58 रुपए थी. लेकिन आज पेट्रोल की कीमत 73.83 रुपए और डीजल की कीमत 64.69 रुपए है. यानी कल से आज एक दिन में ही पेट्रोल 10 और डीजल 11 पैसे महंगा हो गया और जनता को इसकी भनक तक नहीं लगी.
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां पिछले साल जून से दैनिक आधार पर ईंधन कीमतों में संशोधन कर रही हैं.
पेट्रोलियम मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते कच्चे तेल के दामों के मद्देनजर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती की मांग की थी, लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को बजट में उसकी इस मांग को नजरअंदाज कर दिया था. दक्षिण एशियाई देशों में भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत सबसे अधिक है. पेट्रोल पंप पर ईंधन की कीमत में आधा हिस्सा टैक्स का होता है.
नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के दौरान वैश्विक स्तर पर तेल कीमतों में गिरावट के बावजूद वित्त मंत्री जेटली ने उत्पाद शुल्क में नौ बार बढ़ोतरी की है. सिर्फ एक बार पिछले साल अक्टूबर में इसमें दो रुपये लीटर की कटौती की गई. उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद केंद्र ने राज्यों से वैट घटाने को कहा था, लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने ही ऐसा किया था. बीजेपी शासित राज्यों सहित अन्य राज्यों ने केंद्र के इस आग्रह पर ध्यान नहीं दिया था.