देश का आम बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन और बचे हैं. ऐसे में आम आदमी को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शायद उन्हें टैक्स में छूट दे दें. लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ऐसा नहीं चाहते. उनका मानना है कि टैक्स कटौती की बजाय सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना चाहिए.


इनकम टैक्स कटौती के खिलाफ रघुराम राजन


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि उपभोग (consumption) को बढ़ाने के लिए टैक्स कटौती आकर्षक लग सकती है, लेकिन मौजूदा वित्तीय स्थिति इसे संभव नहीं बनाती. उन्होंने देश की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों का संयुक्त वित्तीय घाटा चिंताजनक स्तर पर है. ऐसे में टैक्स कटौती से राजस्व में कमी आने का खतरा है, जो लॉन्ग टर्म में आर्थिक स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकता है.


ह्यूमन कैपिटल पर निवेश की वकालत


रघुराम राजन ने सुझाव दिया कि सरकार को ह्यूमन कैपिटल डेवलपमेंट पर जोर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभावी सार्वजनिक व्यय से दीर्घकालिक समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रोजगार सृजन मौजूदा समय की सबसे बड़ी जरूरत है. उनके अनुसार, टैक्सेशन महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है, बल्कि इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि देश में जॉब क्रिएशन को कैसे प्रोत्साहित किया जाए.


रघुराम राजन ने आगे कहा, सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश से हाल के वर्षों में आर्थिक विकास को गति दी है. हालांकि, सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने से गहरी समस्याएं, जैसे नौकरी सृजन और कौशल विकास, हल नहीं होंगी. उन्होंने कहा, "शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने से एक ज्यादा उत्पादक वर्कफोर्स तैयार हो सकती है और टिकाऊ विकास को बढ़ावा मिल सकता है."


प्राइवेट सेक्टर निवेश पर जताई चिंता


ईटी से पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, राजन ने प्राइवेट सेक्टर द्वारा निवेश की कमी पर चिंता जताई और इसे एक पुरानी समस्या बताया. उन्होंने कहा, "जब मैं 8 साल पहले गवर्नर था, तब भी मैं इस बात को लेकर चिंतित था कि निवेश क्यों नहीं बढ़ रहा है. यह आज भी एक बड़ी पहेली है." उन्होंने इस हिचकिचाहट की वजह भविष्य की मांग को लेकर असमंजस और बिजनेस लीडर्स के आत्मविश्वास की कमी को बताया. रघुराम राजन ने कहा, "निवेश काफी हद तक 'एनिमल स्पिरिट्स' यानी जोखिम लेने और भविष्य को लेकर आत्मविश्वास पर निर्भर करता है. अगर आर्थिक स्थिरता और मांग को लेकर स्पष्टता नहीं होगी, तो बिजनेस भारी निवेश करने से बचेंगे."


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