Petrol Diesel Price Hike: जानें क्यों, महंगे पेट्रोल डीजल से फिलहाल राहत की नहीं है कोई उम्मीद?
Fuel Price Hike: पिछले 14 दिनों में 12 बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं. इन 12 दिनों में 8.40 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा हो चुका है. ऐसे में आम आदमी की जेब हर रोज कट रही है.
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Petrol Diesel Price Hike: पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद 22 मार्च 2022 से सरकारी तेल कंपनियों ने सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने का सिलसिला शुरू किया. और पिछले 14 दिनों में 12 बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं. इन 12 दिनों में 8.40 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा हो चुका है. ऐसे में आम आदमी की जेब हर रोज कट रही है. गाड़ी में पेट्रोल डीजल डलवाने पर लोगों के घर का बजट बिगड़ रहा है. ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिरकार पेट्रोल डीजल के दामों में और कितनी बढ़ोतरी होगी. सरकारी कंपनियां दोनों ईंधन के दामों में और कितना इजाफा करेंगी. तो आपको बता दें ये इजाफा फिलहाल तब तक जारी रह सकता है जब तक सरकारी तेल कंपनियों को दोनों ईंधन बेचने पर हो रहे नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती.
कितना और महंगा होगा पेट्रोल डीजल
सरकारी तेल कंपनियों ने 8.40 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाये हैं. एक अनुमान के मुताबिक सरकारी तेल कंपनियों कुल 15 रुपये प्रति लीटर तक पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने होंगे तभी उनके नुकसान की भरपाई हो सकेगी. इसके संकेत इस बात से लगाये जा सकते हैं कि थोक डीजल उपभोक्ताओं के लिए सरकारी तेल कंपनियों ने डीजल के दामों में 25 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी कर दी है. बल्क डीजल उपभोक्ताओं के श्रेणी में रेलवे, राज्य सरकारों की रोडवेज, मॉल, फैक्ट्रियां, हाउसिंग सोसाइटीज आते हैं.
ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI Securities) ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था अंतरराष्ट्रीय बाजार तेल की कीमतों के बढ़ोतरी के चलते साथ सरकारी तेल कंपनियों को ब्रेक ईवन यानि नुकसान को खत्म करने के लिए 12.1 रुपये प्रति लीटर की भारी कीमत वृद्धि की जरुरत है. रिपोर्ट में कहा गया कि तेल कंपनियों के लिए मार्जिन को शामिल करने के बाद कीमतों में 15.1 रुपये की बढ़ोतरी पड़ेगी. एसबीआई ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में कहा था कि सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए 9 से 14 रुपये प्रति लीटर तक पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने होंगे. एसबीआई ने ये तब कहा था जब कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था.
अब आपको बताते हैं कैसे महंगा कच्चा तेल सरकारी तेल कंपनियों के खजाने पर असर डाल रहा है. कच्चे तेल के दामों में हर एक डॉलर की बढ़ोतरी होने पर सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल के दामों में 40 पैसे प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करती हैं. 5 डॉलर तक कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के बाद 2 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा होता है. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर में आई कमजोरी को भी जोड़ ले तो इस हिसाब से सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने की पेट्रोल डीजल के दामों को करीब 14 से 15 रुपये प्रति लीटर तक कम से कम बढ़ाने होंगे. एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनत्तम तक छूने के बाद से कच्चा तेल अब 105 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है.
एक्साइज ड्यूटी घटाने से परहेज
एसबीआई के रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाती है तो सरकार को हर महीने 8000 करोड़ रुपये का टैक्स कलेक्शन का नुकसान होगा. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की और पेट्रोल डीजल का खपत 8 से 10 फीसदी बढ़ा तो सरकार को 2022-23 में 95,000 करोड़ रुपये से लेकर एक लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू लॉस होगा. केंद्र सरकार पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है. महंगे ईंधन के बाद भी पेट्रोल डीजल की मांग बढ़ी है यही वजह है कि सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने से परहेज कर रही है.
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