(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Unemployment in India: देश में जॉब हैं मगर लेने वाला कोई नहीं, खाली रह गए ये 18 लाख पद
Financial Services Sector: फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड्स बोर्ड के सीईओ कृष्ण मिश्रा के मुताबिक, देश में योग्य व्यक्तियों की कमी के चलते पद खाली रह जाते हैं.
Financial Services Sector: देश में बेरोजगारी को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं. लोगों का कहना है कि देश के युवाओं के पास रोजगार नहीं हैं. मगर, कई बार ऐसे आंकड़े सामने आ जाते हैं, जो लोगों को हैरान कर देते हैं. फाइनेंशियल सेक्टर में पिछले साल 18 लाख ऐसे जॉब थे, जिन्हें लेने वाला कोई नहीं था. यह दावा फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड्स बोर्ड (Financial Planning Standards Board) के सीईओ कृष्ण मिश्रा ने किया है.
फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में रोजगार की कमी नहीं
कृष्ण मिश्रा ने कहा कि फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में रोजगार की कोई कमी नहीं है. यहां दिक्कत अलग है. जॉब हैं लेकिन, उन्हें लेने वाला कोई नहीं है. उन्होंने केंद्र सरकार के नेशनल कैरियर सर्विसेज (National Career Services) पोर्टल का हवाला देते हुए कहा कि पिछले साल फाइनेंशियल सर्विसेज (Financial Services) में 46.86 लाख जॉब पैदा हुए. इनमें से सिर्फ 27.5 पोस्ट ही भर पाए बाकी के 18 लाख पद खाली रह गए. इसका सबसे बड़ा कारण युवाओं में कौशल की कमी बताया जा रहा है. नौकरियां तो हैं मगर, योग्य व्यक्तियों की देश में भारी कमी है.
गिफ्ट सिटी में मिलेंगे 1.5 लाख लोगों को जॉब
उन्होंने कहा कि गुजरात के गांधी नगर में बन रही गिफ्ट सिटी (GIFT City) में फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में लगभग 6000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है. गिफ्ट सिटी अगले 5 साल में लगभग 1.5 लाख लोगों को रोजगार देगी. कृष्ण मिश्रा के मुताबिक, बैंक, इंश्योरेंस कंपनियों, ब्रोकरेज हाउस और म्युचुअल फंड कंपनियों में हमेशा जॉब उपलब्ध रहते हैं. अगर आप ऑनलाइन जॉब सर्च करें तो पता चलेगा कि वित्तीय सेवा सेक्टर में सबसे ज्यादा नौकरियां उपलब्ध रहती हैं.
1 लाख सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर की पड़ेगी जरूरत
एफपीएसबी इंटरनेशनल सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर (CFP) सर्टिफिकेशन प्रोग्राम चलाती है. पूरी दुनिया में जहां 2.23 लाख सीएफपी मौजूद हैं वहीं, भारत में सिर्फ 2,731. साल 2030 तक देश में लगभग 10 हजार सीएफपी होंगे जबकि जरूरत कम से कम 1 लाख लोगों की होगी. पर्सनल फाइनेंस को अभी तक भारत में गंभीरता से नहीं लिया गया है. इसे अमीरों की चीज माना जाता रहा है. मगर, भविष्य में सभी को इसकी जरूरत पड़ने वाली है.
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