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पहले विश्व बैंक, अब नोमुरा का भारतीय इकोनॉमी पर भरोसाः कहा 'अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे होगा सुधार'
जहां देश में अर्थव्यवस्था में मंदी को लेकर नेताओं के बीच बहस छिड़ी हुई है वहीं विदेशी आर्थिक संस्थान लगातार भारत की इकोनॉमी को लेकर अपना भरोसा जता रहे हैं. नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे पुनरूद्धार और सुधार की उम्मीद है.
नई दिल्ली: जहां देश में अर्थव्यवस्था में मंदी को लेकर नेताओं के बीच बहस छिड़ी हुई है वहीं विदेशी आर्थिक संस्थान लगातार भारत की इकोनॉमी को लेकर अपना भरोसा जता रहे हैं. नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे पुनरूद्धार और सुधार की उम्मीद है. इस वित्त वर्ष में औसत ग्रॉस वैल्यू एडीशन-सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) वृद्धि 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष के 6.6 फीसदी से ज्यादा है. आपको बता दें कि विश्व बैंक ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव बातें कही थीं.
वर्ल्ड बैंक ने बताया था गिरावट को अस्थाई
वर्ल्ड बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि में हाल ही में आई गिरावट को अस्थायी बताते हुए 5 अक्टूबर को कहा था कि यह मुख्य रूप से जीएसटी के लिए तैयारियों में फौरी बाधाओं के वजह से हुई. विश्व बैंक ने भरोसा जताया है कि भारत की विकास दर में गिरावट आने वाले महीनों में सुधर जाएगी. विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने यहां यह भी कहा कि माल व सेवा कर (जीएसटी) का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा पॉजिटिव असर होने जा रहा है.
नोमुरा ने गिरावट कम होने की उम्मीद जताई
जापान की फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी नोमुरा ने कहा कि 'अपनी रिसर्च के आधार पर हम मानते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद विकास दर में में जो गिरावट आई है वो कम होने लगेगी. चालू वित्त वर्ष में जुलाई-सितंबर तिमाही से वृद्धि सुधरने लगेगी.’’ उसने कहा कि उसके मुख्य संकेतकों से गैर-कृषि सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में सुधार, फसलों की बुवाई में गिरावट और जीएसटी क्रियान्वयन के कारण कार्यशील पूंजी की कमी के संकेत मिलते हैं. क्षमता के कम उपयोग और बैंकों के कठिनाई में फंसे हुए बही-खातों के चलते भारत में इंवेस्टमेंट में लगातार कमी देखी जा रही है.
भारतीय इकोनॉमी का होगा सिक्लिकल रिवाइवल
नोमुरा ने कहा, ‘‘इसी कारण हमें धीरे-धीरे सिक्लिकल रिवाइवल यानी देश की इकोनॉमी में चरणीय पुनरूद्धार की उम्मीद है. जीवीए वृद्धि वित्त वर्ष 2016-17 के 6.6 फीसदी से बढ़कर 2017-18 में 6.7 फीसदी हो जाएगी और जीडीपी विकास की दर सात फीसदी से ज्यादा होगी.’’ मंहगाई में तेजी आई है लेकिन इसकी वजह सांख्यिकीय और सप्लाई संबंधी मुद्दे हैं. मांग बढ़ने से होने वाली मंहगाई नहीं देखी जा रही है. उसने कहा, ‘‘सब्जियों की कीमतों में फिर से सुधार हुआ है और इससे अक्तूबर में मंहगाई में कमी आनी चाहिए. हालांकि हमारा अनुमान है कि 2018 में खुदरा यानी रिटेल मंहगाई दर 4.5 फीसदी से ज्यादा रहेगी.’’
भारत की आर्थिक वृद्धि में गिरावट अस्थायी: विश्व बैंक ने जताया भरोसा
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