(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
India Rural Demand: इस साल इकोनॉमी को मिलेगा गांवों से समर्थन, तेज रहने वाली है 2024 में रूरल डिमांड
Nomura on Indian Economy: ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म का मानना है कि भले ही आने वाली तिमाहियों में ग्रोथ रेट कम हो सकती है, लेकिन ग्रामीण मांग में शानदार तेजी की गुंजाइश दिख रही है...
तमाम वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से तरक्की कर रही है. अभी जब दुनिया लगातार रिकॉर्ड महंगाई, भू-राजनीतिक तनावों, आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत की अर्थव्यवस्था अनुमानों से बेहतर गति से आगे बढ़ रही है और दुनिया की सबसे तेज तरक्की वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है. ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म नोमुरा का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों से समर्थन मिल सकता है.
इन कारणों से तेज होगी डिमांड
नोमुरा के अनुसार, महंगाई की रफ्तार नरम पड़ रही है. इससे मांग में तेजी आ सकती है. खासकर ग्रामीण मांग में 2024 के दौरान तेजी आने के अनुमान हैं. बैंकिंग फर्म ने इसके अलावा भी ग्रामीण मांग को बढ़ाने वाले संभावित कारणों के बारे में बताया है. चुनावी साल होने के कारण चुनावों से पहले होने वाले खर्च से भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मदद मिल सकती है. कोविड महामारी के समय ग्रामीण क्षेत्रों में सेविंग समाप्त हो गई थी, वो धीरे-धीरे पुरानी स्थिति में लौटने लगी है. ये सारे फैक्टर मिलकर इस साल ग्रामीण मांग को सपोर्ट कर सकते हैं.
अर्थव्यवस्था को मिलेगी मदद
नोमुरा का कहना है कि आने वाली दिनों में ग्रोथ रेट कम होने के बाद भी उपभोग तेज रहने वाला है. चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी से ग्रो कर सकती है, जो अगले वित्त वर्ष में कम होकर 5.6 फीसदी पर आने की आशंका है. हालांकि इसके बाद भी कीमतों का दबाव कम होने से व्यापक स्तर पर उपभोग में तेजी आने की उम्मीद है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मददगार साबित हो सकता है.
इतनी कम हो सकती है महंगाई
नोमुरा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई के 5.6 फीसदी पर रहने का अनुमान है, जो कम होकर वित्त वर्ष 2024-25 में 4.5 फीसदी पर आ सकती है. चुनावों से पहले होने वाले खर्च से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त नकदी आने के अनुमान हैं. सरकार के स्थिर रहने के अनुमान से भी ग्रामीण उपभोग को समर्थन मिल सकता है. कुल मिलाकर देखें तो ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलने के पक्ष में कई कारण मौजूद हैं.
पिछले साल दिखी रिकवरी
ग्लोबल बैंकिंग फर्म की मानें तो इस दिशा में एक और बड़ा फैक्टर रूरल वेज है, जो लगातार रूरल इंफ्लेशन से ज्यादा है. यानी ग्रामीण इलाकों में लोगों को महंगाई से ज्यादा कमाई हो रही है. यह फैक्टर भी ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग को बढ़ा सकता है, जिसमें पहले ही 2023 के दौरान तेज सुधार देखा गया है. 2023 में ओवरऑल भले ही रूरल डिमांड कमजोर रही हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पूरे साल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में सुधार होते गया है.
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